हरेली से पहले छत्तीसगढ़ में गरमाई सियासत, डिप्टी CM अरुण साव और पूर्व मंत्री शिव डहरिया में तकरार
हरेली पर सियासत
CG News: छत्तीसगढ़ में हरेली का पर्व प्रदेश के पहले त्योहार के रूप में मनाया जाता है. प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं में हरेली तिहार का विशेष महत्व है. किसान खेतों में उपयोग होने वाले औजारों की पूजा-अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं. इसके अलावा गेड़ी चढ़ने, बैल दौड़ सहित अन्य खेलों का आयोजन भी गांव-गांव में किया जाता है. इस साल प्रदेश में 24 जुलाई को हरेली तिहार अलग अंदाज से मनाया जाएगा. मुख्यमंत्री निवास में इस बार भी हरेली के अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. पारंपरिक अंदाज में मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री समेत सभी मंत्री हरेली मनाएंगे. इस मौके पर लोक कलाकारों की प्रस्तुति भी होगी और मुख्यमंत्री निवास को पारंपरिक अंदाज में सजाया भी जाएगा. दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी अपने निवास पर हरेली तिहार का आयोजन करने जा रहे हैं. कांग्रेस नेता भूपेश बघेल के निवास पर हरेली तिहार मनाते नजर आएंगे. यूं तो दोनों ही दलों के नेता हरेली तिहार के कार्यक्रमों में शामिल होंगे,लेकिन अब इसे लेकर सियासत भी तेज होती नजर आ रही है.
हरेली तिहार पर सियासत
प्रदेश के डिप्टी सीएम अरुण साव ने जहां उत्साह के साथ त्योहार मनाने की बात कही है. वहीं, कांग्रेस की संस्कृति और विचारधारा पर सवाल भी उठाए हैं. डिप्टी CM अरुण साव ने त्योहारों के नाम पर भ्रष्टाचार को लेकर भी हमला बोला है. उन्होंने कहा- ‘छत्तीसगढ़ में हरेली धूमधाम से मनाया जाता है. हम सभी अपने-अपने घरों में हरेली मनाएंगे.’ वहीं, कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस ने 5 साल तिहार के नाम पर जनता को धोखा दिया है. जनता ने कांग्रेस की नौटंकी को नकार दिया है, जिससे आर्थिक नाकेबंदी में कांग्रेस नेताओं ने लड़ाई की है, ऐसे में अब कांग्रेस बताए किस संस्कृति और विचारधारा को मानते हैं?
पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने किया पलटवार
अब ये बात सोचने वाली है कि जब कांग्रेस की सरकार थी तो पूर्व सीएम बघेल गेड़ी पर चलते नजर आते थे. वहीं. अरुण साव का बयान सामने आने के बाद पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने तीखा पलटवार किया है. उन्होंने कहा- ‘कांग्रेस ने हमेशा तीज-त्योहारों और परंपराओं का सम्मान किया.अरुण साव का जब जन्म नहीं हुआ था, तब भी हरेली का त्योहार मनाया जाता था.’
छत्तीसगढ़ में तीज-त्योहारों और परंपराओं के नाम पर सियासत नई बात नहीं है. ऐसे में एक बार फिर हरेली तिहार को लेकर वार-पलटवार का दौर देखने मिल रहा है.