कैसे प्यार में पड़ा खूंखार नक्सली नेता और कैसे एक सेल्फी ने कर दिया खेल खत्म?
CG News: जनवरी 2025 में छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर गरियाबंद जिले में खूंखार नक्सली चलपति एनकाउंटर में मारा गया. चलपति के लिए उसकी पत्नी के साथ ली गई सेल्फी मौत का कारण बन गई. एक करोड़ के इनामी नक्सली की प्रेम कहानी भी पूरी तरह से फिल्मी है.
साल 2016 से सुरक्षाबलों के निशाने पर रहने वाले चलपति को आखिरकार जवानों ने एक एनकाउंटर में मार गिराया. वही चलपति जिसपर कई नक्सल वारदातों को अंजाम देने के आरोप थे. चलपति इतना शातिर था कि उसने बचने के लिए एक फॉर्मूला तैयार किया था, वो एक दिन से ज्यादा कहीं भी नहीं टिकता था. वो अपनी पत्नी अरुणा के साथ रोज सुबह 4 बजे से पहले अपना ठिकाना छोड़ देता है और शाम 4 बजे तक नए ठिकाने पर पहुंच जाता था। चलपति को नक्सल संगठन में मास्टर ट्रेनर के तौर पर जाना जाता था.
एक करोड़ के इनामी नक्सली चलपति की कहानी
जयराम रेड्डी उर्फ चलपति आंध्र प्रदेश के चिंत्तूर जिले के माटेमपल्ली की रहने वाला था. उसने अपनी स्कूली शिक्षा गांव से ही पूरी की थी. 10वीं तक पढ़ाई करने के बाद चलपति का झुकाव नक्सली संगठन की ओर हुआ और 90 के दशक में वो माओवादी संगठन से जुड़ गया. उस समय चलपति की उम्र 25 साल थी, क्योंकि चलपति पढ़ा-लिखा था तो ऐसे में नक्सलियों ने उसे सीधा सेंट्रल कमेटी का सदस्य बना दिया. धीरे-धीरे उसकी गिनती देश के सबसे खतरनाक नक्सली कमांडरों में होने लगी. पहले उसपर 20 लाख का इनाम था, लेकिन बीते 6 सालों में उसके नक्सली मूवमेंट को देखते हुए सरकार ने 20 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ का इनाम घोषित कर दिया था.
चलपति कैसे बना नक्सलियों का सरदार?
चलपति सबसे पहले नक्सली नेता रामकृष्ण के संपर्क में आया. उसका दिमाग बहुत तेज था, जिस वजह से रामकृष्ण ने उसे अपना सहायक बना लिया. धीरे-धीरे नक्सल संगठन में चलपति का कद बढ़ने लगा, कुछ ही दिनों बाद उसे जोन का सेक्रेटरी बना दिया गया. जल्द ही उसे दो नक्सल प्रभावित राज्यों आंध्र प्रदेश और ओडिशा की कमान सौंप दी गई. चलपति ने अपने तेज दिमाग से कई नक्सल वारदातों की साजिश रची थी. कुछ समय से नक्सल मूवमेंट की सारी प्लानिंग चलपति के कंधों पर ही थी. कब, कहां और कैसे अटैक करना है इसका फैसला भी चलपति ही करता था. मरने के समय वो पूरे पूर्व-दक्षिण के जोन का प्रभारी था.
टेक्नोलॉजी प्रेमी था चलपति
चलपति जितना दिमाग नक्सली वारदातों को अंजाम देने में लगाता था उतना ही उसका दिमाग नई टेक्नोलॉजी में भी लगता था. उसके पास नए जमाने की तकनीकों के बारें में इतनी समझ थी कि वो समय-समय पर अपने से छोटे कद के नक्सली नेताओं को इसकी जानकारी देता रहता था. इसके अलावा उसके पास कई आधुनिक हथियार भी थे. चलपति के पास एके-47 और SLR राइफल जैसे एडवांस हथियार हुआ करते थे. इतना ही नहीं चलपति की सुरक्षा में हमेशा 8 से 10 गार्ड तैनात रहते थे.
प्यार के चक्कर में भूला मकसद
साल 2000 से 2001 के बीच चलपति की मुलाकात अरुणा नाम की नक्सली से हुई और यहीं से शुरु हुई दोनों की प्रेम कहानी. अरुणा चलपति से उम्र में बहुत छोटी थी. जैसे ही चलपति से बड़े नक्सली नेताओं को इसकी भनक लगी उसे एक साल तक के लिए सस्पेंड कर दिया गया. लेकिन दोनों ने जल्द ही शादी कर ली, चलपति पत्नी के साथ जंगल में रहने वाला पहला बड़ा नक्सली था. दोनों की शादी करीब 16 साल तक चली. लेकिन यही प्यार चलपति पर भारी पड़ गया.अरुणा के साथ ली गई एक सेल्फी सुरक्षाबल के जवानों के हाथ लग गई जिससे उसकी पहचान हुई. अगर चलपति की तस्वीर नहीं मिलती तो जवान उसे पकड़ नहीं पाते. साल 2016 में आंध्र प्रदेश में एक नक्सली मुठभेड़ के बाद जवानों को एक स्मार्टफोन मिला था, इसी में अरुणा के साथ चलपति की सेल्फी मिली जिससे उसके खिलाफ सर्च अभियान करने में मदद मिली.
कई बड़ी नक्सली वारदातों का मास्टरमाइंड
नक्सलियों ने चलपति के नेतृत्व में साल 15 फरवरी 2008 में ओडिशा के नयागढ़ जिले में हमला किया, जिसमें 13 सुरक्षाकर्मी मारे गए. चलपति ने प्लान कुछ ऐसा बनाया था कि जब जवानों पर हमला हो और उनसे हथियार लूटे जाएं तो पुलिस उस इलाके में नहीं पहुंच पाए. चलपति ने इसके लिए जगह-जगह पर पेड़ों की टहनियां बिखेर दीं, जिससे पूरा रास्ता बंद हो गया.