Chhattisgarh SIR: अगर 2003 की वोटर लिस्ट में मैच नहीं हो रहा नाम, तो तुरंत तैयार कर लें अपने दस्तावेज
सांकेतिक तस्वीर
Chhattisgarh SIR Documents: छत्तीसगढ़ समेत देश के देश के 12 राज्यों में दूसरे चरण का SIR यानी विशेष इंटेंसिव रिवीजन लागू हो चुका है. ऐसे में छत्तीसगढ़ में प्रशासन ने भी वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण यानी SIR का काम शुरू कर दिया है. ऐसे में उन सभी मतदाताओं और उनके परिवारों के लिए जरूरी खबर है, जिनके नाम 2003 की मतदाता सूची से मैच नहीं हो रहे हैं. ऐसे लोगों को अपना नाम वोटर लिस्ट में दर्ज कराने के लिए जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे.
तुरंत तैयार कर लें दस्तावेज
केंद्रीय निर्वाचन आयोग की तय टाइमलाइन के मुताबिक SIR के लिए सबसे पहले साल 2003 की वोटर लिस्ट को मौजूदा डेटा से मैपिंग किया जाएगा. आयोग ने स्पष्ट कर दिया है कि केवल उन मतदाताओं को ही दस्तावेज देने होंगे, जिनके नाम 2003 की लिस्ट से मैच नहीं खाएंगे. वोटर लिस्ट में दर्ज नाम की जांच आसानी से वेबसाइट के जरिए की जा सकती है. जिन मतदाताओं के नाम मैच नहीं करेंगे, उन्हें आयोग द्वारा निर्धारित 12 दस्तावेजों में से कोई एक जमा करना होगा. लेकिन यह काम खुद से नहीं करना है, बल्कि SDM (ERO) से नोटिस मिलने के बाद सबूत के तौर पर देना होगा.
BLO के खिलाफ कार्रवाई
हर मतदाता का सत्यापन करने के लिए बीएलओ उनके घर कम से कम तीन बार पहुंचेंगे. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी. अगर मतदाता शिकायत करेंगे कि बीएलओ घर नहीं आ रहे, तो ऐसे कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.
कौन से दस्तावेज होंगे जमा?
अधिकारियों की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक अगर वोटर लिस्ट से नाम मैच नहीं हो रहा है तो संबंधित क्षेत्र के SDM से नोटिस मिलने पर मतदाताओं को 12 में से कोई एक दस्तावेज पेश करना होगा-
- जन्म प्रमाण-पत्र
- पासपोर्ट
- अंकसूची
- निवास प्रमाण-पत्र
- वन अधिकार/जाति प्रमाण-पत्र
- राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर
- राज्य या निकाय का पारिवारिक रजिस्टर
- सरकारी जमीन या मकान का आवंटन प्रमाण-पत्र
- आधार कार्ड
- पेंशन पहचान एवं भुगतान पत्र
- स्थानीय शासकीय निकाय, बैंक, डाकघर, एलआईसी या सार्वजनिक उपक्रम द्वारा जारी पहचान पत्र
- NRC (जहां लागू)
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दो बार अपील का मौका भी मिलेगा
निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक किसी भी दावा-आपत्ति के लिए लोगों को पर्याप्त समय दिया जाएगा. पहली बार आपत्ति का निराकरण न होने या असंतुष्ट होने पर मतदाता दूसरी बार अपील कर सकता है।. धिकारियों को दोनों बार आपत्ति का समाधान करना होगा. इसके बाद भी अगर मतदाता संतुष्ट नहीं होता, तो वह राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकता है.