CG News: आत्मसमर्पित नक्सलियों पर दर्ज केस वापस लेने के मुद्दे पर सियासत, कांग्रेस ने जताया विरोध, सुशील आनंद शुक्ला बोले- ये दुर्भाग्यजनक

CG News: आत्मसमर्पित नक्सलियों के खिलाफ दर्ज केस वापसी की प्रक्रिया के लिए जिला स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है. यह समिति आत्मसमर्पित नक्सली के अपराधिक प्रकरणों की वापसी के लिए रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को प्रस्तुत करेगी
Congress objects to Chhattisgarh government's decision to withdraw cases against Naxalites

छत्तीसगढ़ कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला

CG News: सीएम विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में बुधवार (10 दिसंबर) को कैबिनेट बैठक आयोजित हुई. इस मीटिंग में आत्मसमर्पित नक्सलियों के खिलाफ दर्ज केस की समीक्षा और परीक्षण के लिए, जिन्हें कोर्ट से वापस लिया जाना है उसके लिए कैबिनेट ने उप समिति के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी है. अब इस मुद्दे पर छत्तीसगढ़ में राजनीति गरमा गई है. कांग्रेस ने मंत्रिपरिषद के इस निर्णय पर विरोध जताया है.

‘समीक्षा की बात बेहद ही दुर्भाग्यजनक’

प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कैबिनेट द्वारा समर्पित नक्सलियों के आपराधिक प्रकरण वापस लेने की और उसकी समीक्षा की बात बेहद ही दुर्भाग्यजनक है. इसका मतलब जो झीरम, ताड़मेटला कांड और सैकड़ों-हजारों नरसंहार मामले में शामिल थे, क्या आप उनका भी आपराधिक प्रकरण वापस लेंगे?

उन्होंने आगे कहा कि नक्सल और नक्सलियों के नाम पर आपकी सरकार ने ग्रामीणों को जबरन बंद करके रखा है, उनके चालान पेश नहीं किए गए हैं, उनकी केस डायरी भी पेश नहीं की गई है, उनको छोड़ने के बारे में आपका क्या फैसला है. पहले उनके बारे में फैसला लिया जाना चाहिए. जो निर्दोष हैं, किसी हत्याकांड में शामिल नहीं थे, किसी अपराध में शामिल नहीं थे. आपने उन्हें केवल टारगेट पूरा करने के लिए जेल में बंद करके रखा है.

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क्या है पूरा मामला?

आत्मसमर्पित नक्सलियों के खिलाफ दर्ज केस वापसी की प्रक्रिया के लिए जिला स्तरीय समिति के गठन का प्रावधान किया गया है. यह समिति आत्मसमर्पित नक्सली के अपराधिक प्रकरणों की वापसी के लिए रिपोर्ट पुलिस मुख्यालय को प्रस्तुत करेगी. सरकार द्वारा विधि विभाग का अभिमत प्राप्त कर मामलों को मंत्रिपरिषद उप समिति के सामने पेश किया जाएगा. उपसमिति रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने पेश करेगी. इसके बाद भारतीय कानून के तहत निर्णय लिया जाएगा कि केस वापस लेना है या नहीं.

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