CG News: पंचतत्व में विलीन हुए पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, अंतिम विदाई देने पहुंचे कुमार विश्वास ने साझा की यादें
पंचतत्व में विलीन हुए हास्य कवि सुरेंद्र दुबे
CG News: छत्तीसगढ़ की जनता को अपने बोल और कविताओं से हंसाने-गुदगुदाने वाले पद्मश्री हास्य कवि सुरेंद्र दुबे पंचतत्व में विलीन हो गए हैं. 26 जून 2025 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था. आज रायपुर के बूढ़ापारा के मारवाड़ी मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया. छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैक डायमंड’ सुरेंद्र दुबे को अंतिम विदाई देने के लिए प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास भी रायपुर पहुंचे. इस दौरान प्रदेश के डिप्टी CM विजय शर्मा और वित्त मंत्री ओपी चौधरी भी मौजूद रहे.
पंचतत्व में विलीन हुए डॉ. सुरेंद्र दुबे
रायपुर के बूढ़ापारा के मारवाड़ी मुक्ति धाम में पद्मश्री सुरेंद्र दुबे का अंतिम संस्कार हुआ. यहां उनका पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया. उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान अशोका प्लेटिनम बंगला नंबर 25 से रायपुर के मारवाड़ी श्मशान घाट तक निकाली गई. छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैक डायमंड’ सुरेंद्र दुबे को अंतिम विदाई देने के लिए प्रसिद्ध कवि कुमार विश्वास, डिप्टी CM विजय शर्मा और वित्त मंत्री ओपी चौधरी समेत देश भर की कई शख्सियत शामिल हुईं.
कुमार विश्वास ने साझा की यादें
इस दौरान कवि कुमार विश्वास ने सुरेंद्र दुबे के साथ की यादें साझा की. उन्होंने कहा- ‘प्रभाव में आने से पहले अगर कोई एक कलाकार बड़ी प्रतिभा, शक्तिमत्ता, बड़ी उन्मुक्ता के साथ था तो वह सुरेंद्र दुबे ही थे.’
पद्मश्री हास्य कवि सुरेंद्र दुबे का निधन
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मशहूर हास्य कवि सुरेंद्र दुबे ने 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. गुरुवार को उन्हें हार्ट अटैक आया था. ACI अस्पताल में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया.
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को बेमेतरा (तत्कालीन दुर्ग) में हुआ था. वह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. उनके हास्य और व्यंग्य ने उन्हें न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में अलग पहचान दिलाई. वह अपन हास्य और व्यंग्य कविताओं से हमेशा सबके हंसाते और गुदगुदाते रहते थे.
छत्तीसगढ़ी को अलग पहचान
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे की बोलने की शैली इतनी अलग थी, जिस कारण छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरी दुनिया में एक नई ऊंचाई मिली. उनकी कविताओं और शैली के कारण छत्तीसगढ़ी क्षेत्रीय भाषा और छत्तीसगढ़ को पूरे देश में पहचान मिली. उन्होंने सिर्फ कवि सम्मेलन ही नहीं बल्कि दूरदर्शन और कई TV शो पर अपनी कविताओं से लोगों को हंसाया.
डॉ. सुरेंद्र दुबे को पद्मश्री और हास्य रत्न पुरस्कार
डॉ. सुरेंद्र दुबे को साल 2010 में भारत सरकार द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया था. इससे पहले साल 2008 में उन्हें काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया था. उन्होंने पाँच पुस्तकें लिखीं, जो हास्य-व्यंग्य साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती हैं.