हिडमा के ‘दोस्त’ की बेटी अब बनेगी डॉक्टर, सुकमा के 46 बच्चों ने पास की NEET-JEE परीक्षा
सुकमा के बच्चे अब बनने जा रहे डॉक्टर-इंजीनियर
CG News: छत्तीसगढ़ के सुदूरवर्ती आदिवासी जिले सुकमा में, जहां कभी शिक्षा की पहुंच एक सपना मात्र थी, अब उसी जमीन से 46 आदिवासी बच्चों ने NEET और JEE जैसी कठिन परीक्षा में सफलता हासिल की है. यह बच्चे अब डॉक्टर और इंजीनियर बनने वाले हैं. इन छात्रों में खूंखार नक्सली हिडमा के दोस्त की बेटी भी शामिल है, जो अब डॉक्टर बनने वाली है. यह उपलब्धि न केवल इन परिवारों के लिए है बल्कि पूरे बस्तर संभाग के लिए गर्व और प्रेरणा का स्रोत बन गई है.
46 बच्चे बनेंगे डॉक्टर-इंजीनियर
सुकमा के 46 बच्चे अब डॉक्टर और इंजीनियर बनेंगे. जिला प्रशासन के सहयोग से सुकमा में क्षितिज संस्थान द्वारा मुफ्त कोचिंग दी जा रही है. इस साल सुकमा के 58 बच्चे NEET और JEE परीक्षा में शामिल हुए थे. इनमें से 43 ने NEET और 3 ने JEE परीक्षा पास की.
चुनौतियों के बीच उपलब्धि
सुकमा जैसे जिले में पढ़ाई करना आसान नहीं, जहां भौगोलिक और सामाजिक चुनौतियां हैं. कई गांवों में स्कूल तक पहुंचना भी एक संघर्ष है. फिर भी इन बच्चों ने हार नहीं मानी और तमाम बाधाओं को पार कर मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं में सफलता हासिल की. यह केवल परीक्षा पास करना नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव की शुरुआत है. इन बच्चों की सफलता ने गांवों में शिक्षा के प्रति नया विश्वास जगाया है. अब डॉक्टर और इंजीनियर बनने का सपना केवल शहरों या संपन्न परिवारों तक सीमित नहीं रह गया है.
आत्मसमर्पित नक्सली की बेटी बनेगी डॉक्टर
NEET पास करने वाली संध्या कुंजाम एक आत्मसमर्पित नक्सली की बेटी भी है. उनके पिता रमेश कुंजाम ने 2002 में नक्सलवाद छोड़कर आत्मसमर्पण किया था. रमेश कुंजाम खूंखार नक्सली हिडमा का साथी है. उन्होंने ही हिडमा को अ, आ, इ, ई और पहाड़ा सिखाया है. अब वे एर्राबोर में रहते हैं और सरकार ने उन्हें प्रधान आरक्षक बनाया है. रमेश कुंजाम ने प्रशासन और सरकार का आभार जताते हुए कहा कि उनकी मदद से बच्चों के भविष्य को संवारने में सहयोग मिला है.
रीना द्वारी ने बताया कि उन्होंने NEET में 259 अंक हासिल किए पिछले साल 235 अंक मिले थे, लेकिन काउंसलिंग में चयन नहीं हुआ. इस बार जिला प्रशासन की मदद से दोबारा प्रयास कर अच्छे अंक प्राप्त किए. सुकमा में बड़े शहरों जैसी कोचिंग सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं.
कूकानार थाना क्षेत्र के विजय कुमार ने बताया कि बाहर कोचिंग करने पर अच्छे अंक नहीं मिले, लेकिन सुकमा के क्षितिज कोचिंग सेंटर में शामिल होने के बाद बेहतर मार्गदर्शन मिला और इस बार अच्छे अंक आए.
डॉक्टर बनकर आदिवासियों की सेवा
छिंदगढ़ ब्लॉक के कांजीपानी निवासी सावन नेगी ने कहा कि वे डॉक्टर बनकर सुकमा में आदिवासियों की सेवा करना चाहते हैं. उनका कहना है कि सुकमा में स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, और ग्रामीणों को समय पर इलाज नहीं मिलने से जान गंवानी पड़ती है.
क्षितिज कोचिंग सेंटर की भूमिका
क्षितिज कोचिंग सेंटर की प्रभारी प्राचार्य एम. संतोषी सोनी ने बताया कि बच्चों में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन चाहिए. जिला प्रशासन के सहयोग से कोचिंग दी जा रही है और आने वाले समय में सुकमा शिक्षा के क्षेत्र में पूरे प्रदेश में मील का पत्थर साबित होगा.
सुकमा के लिए गर्व की बात
वहीं, सुकमा कलेक्टर देवेश कुमार ध्रुव ने बताया कि NEET 2025 में जिले के 43 बच्चों ने सफलता हासिल की है, और 4-5 बच्चों का MBBS में चयन होने की संभावना है. यह सुकमा के लिए गर्व की बात है. अधिकांश बच्चे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों से हैं. सरकार की मंशा के अनुरूप बच्चों को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने के लिए हर स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.