छत्तीसगढ़ में लगने लगा था डर, जान बचाकर भाग रहा था आंध्र… जानें कैसे मारा गया मोस्ट वॉन्टेड नक्सली हिडमा

Hidma Killed in Encounter: खूंखार नक्सली हिडमा को छत्तीसगढ़ में रहने में डर सताने लगा था. लगातार हो रहे सुरक्षाबलों के ऑपरेशन से डरकर वह अपनी जान बचाकर आंध्र प्रदेश की ओर भाग रहा था. इस दौरान मुठभेड़ में वह मारा गया. जानें हिडमा के खात्मे की पूरी कहानी-
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हिडमा के खात्मे की पूरी कहानी

How Naxalite Hidma Killed: बंदूक लेकर लोगों में खौफ फैलाने वाला और कई बड़ी नक्सली हमले कर जवानों को शहीद करने वाला मोस्ट वॉन्टेड नक्सली लीडर हिडमा ढेर हो गया है. 18 नवंबर को छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश की सीमा पर हुई मुठभेड़ में सुरक्षाबलों के जवानों ने हिडमा और उसकी पत्नी समेत 6 नक्सलियों को ढेर कर दिया है.

हिडमा पर 1 करोड़ रुपए का इनाम था. लेकिन लोगों के बीच खौफ फैलाने वाले हिडमा को अब खुद की जान पर खतरा मंडराता नजर आ रहा था. छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों की ओर से चलाए जा रहे ऑपरेशन से वह डरने लगा था. यही वजह थी कि वह आंध्र प्रदेश की ओर भाग रहा था. इस मुठभेड़ में मिली सफलता को लेकर आंध्र प्रदेश के DGP हरीश कुमार गुप्ता ने डिटेल बताई है. उन्होंने इस सफलता को ‘नक्सल विरोधी अभियानों की ऐतिहासिक जीत’ बताया है. साथ ही हिडमा के खात्मे की पूरी जानकारी दी है.

कैसे मारा गया नक्सली कमांडर हिडमा?

आंध्र प्रदेश के DGP हरीश कुमार गुप्ता ने इस मुठभेड़ के बारे में जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा सीमा पर नक्सलियों के एक बड़े समूह के मूवमेंट की जानकारी मिली थी. इस जानकारी के आधार पर सोमवार देर रात ही एंटी-नक्सल ग्रेहाउंड्स और स्थानीय पुलिस ने मिलकर सघन कॉम्बिंग ऑपरेशन शुरू किया. मंगलपार सुबह छत्तीसगढ़-आंध्र प्रदेश सीमा पर अल्लूरी सीताराम राजू जिले के मारेडुमिल्ली जंगल में मुठभेड़ हो गई. इस मठभेड़ में सुरक्षाबलों ने हिडमा सहित कुल 6 नक्सलियों को ढेर कर दिया.

सटीक रणनीति और घेराबंदी

जवानों ने 200 KM की रेंज में एकदम सटीक ऑपरेशन चलाया. सुरक्षाबलों ने नक्सलियों को बचने का कोई मौका ही नहीं दिया गया.

लगातार मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग

हिडमा के घेराबंदी ऑपरेशन की हाई लेवल पर मॉनिटरिंग हो रही थी. बीजापुर से लेकर रायपुर, दिल्ली और महाराष्ट्र तक हर स्तर पर निगाह रखी जा रही थी.

स्पेशल कमांडोज ने संभाला मोर्चा

ऑपरेशन में स्थानीय फोर्स और पैरामिलिट्री फोर्स के साथ-साथ स्पेशल कमांडोज भी शामिल हुए. इनमें महाराष्ट्र के C-60, तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स, और छत्तीसगढ़ के DRG जवान प्रमुख हैं. इन्हें नक्सल युद्ध में महारत हासिल है.

एक साथ कई कमांडर निशाने पर

सुरक्षाबलों ने सिर्फ हिडमा नहीं बल्कि कई कमांडरों को एक साथ निशाना बनाया. हिडमा के साथ देवजी को भी घेरा. देवजी समेत 31 नक्सलियों को अरेस्ट कर लिया गया है.

बारूदी सुरंगें बनी चुनौती

ऑपरेशन में कई चुनौतियों थीं. इनमें बारूदी सुरंगें सबसे बड़ी चुनौती थी. इनके लिए विशेष यूनिट्स को लगाया गया, जो इन्हें धीरे-धीरे डिएक्टिवेट कर रही थीं.

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हिम्मत और हौसला दोनों पर वार

एक तरफ 10 हजार जवान ऑपरेशन चला रहे थे. वहीं, दूसरी तरफ सुरक्षाबलों ने नक्सलियों की राशन सप्लाई को निशाना बनाया. राशन खत्म होने से नक्सलियों के हौसले पस्त हो गए.

जमीन के साथ-साथ हवा से भी निगरानी

जमीन के साथ हवा से भी नक्सलियों पर लगाम कसी गई. ड्रोन से लगातार निगरानी और मशीन गन से लैस हेलिकॉप्टर लगातार गश्त कर रहे थे.

जवानों का जोश हाई रखा गया

ऑपरेशन में लगे जवानों तक खाने-पीने का सामान और गोला बारूद पर्याप्त मात्रा मे पहुंचाए गए. इससे उनका हौसला और जोश दोनों हाई बने रहे.

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