CG News: शराब घोटाले में कवासी लखमा को नहीं मिली जमानत, कोर्ट ने कहा- मामले की गंभीरता को देखते हुए बेल नहीं मिल सकती

कवासी लखमा के वकील ने EOW की कार्रवाई को गलत बताया. वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि मामले में डेढ़ साल बाद गिरफ्तारी की गई है. ना ही बयान लिया गया और ना ही दूसरी औपचारिकता निभाई गई.
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CG News: शराब घोटाले में फंसे पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को हाई कोर्ट से जमानत नहीं मिली है. मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि मामले में गंभीरता को देखते हुए जमानत नहीं दी जा सकती है. कवासी लखमा के वकील ने EOW की कार्रवाई को गलत बताया. वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि मामले में डेढ़ साल बाद गिरफ्तारी की गई है. ना ही बयान लिया गया और ना ही दूसरी औपचारिकता निभाई गई. वहीं अतिरिक्त महाधिवक्ता ने बताया कि कवासी लखमा के खिलाफ कई सबूत हैं. हर महीने 2 करोड़ रुपए का कमीशन पहुंचता था.

30 जून को EOW ने दाखिल की थी चार्जशीट

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला मामले में EOW ने विशेष न्यायालय में 30 जून को 1100 पन्नों को चालान (चार्जशीट) पेश किया था. पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा के खिलाफ EOW ने ये चौथी पूरक चार्टशीट पेश की है. इसमें लखमा के घोटाले में शामिल होने के सबूत मिले हैं. इस चार्जशीट के अनुसार बताया गया है कि लखमा ने साल 2019-2023 तक मंत्री पद पर रहते हुए इसका दुरुपयोग किया. चालान में घोटाले की 64 करोड़ की राशि पूर्व आबकारी मंत्री के खाते में आने की बात कही गई है. इसके साथ ही ओएसडी ने भी कमीशन की बात कबूली है.

18 करोड़ रुपये के निवेश संबंधी दस्तावेज

जांच एजेंसियों को पड़ताल के दौरान 18 करोड़ रुपये की राशि से संबंधित निवेश और खर्च के दस्तावेज के साक्ष्य मिले हैं. इसके साथ ही चार्जशीट में बताया गया है कि कवासी लखमा के नाम 2.24 करोड़ रुपये का घर है. बेटे हरीश के पास 1.40 करोड़ का मकान, 7.46 लाख की जमीन, 45 लाख रुपये का सिक्योर्ड लोन है. बहू शीतल कवासी के नाम 21 लाख रुपये की जमीन है. बेटी संगीता के पास 4.36 लाख रुपये में पेट्रोल पंप की जमीन और बेटी बोंके कवासी के पास 58 लाख रुपये की जमीन है.

क्या है शराब घोटाला?

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले की जांच ED कर रही है. प्रवर्तन निदेशालय ने एंटी करप्शन ब्यूरो (Anti Corruption Bureau) में FIR दर्ज कराई है. FIR में 2 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के घोटाले की बात कही गई है. ED ने अपनी जांच में पाया कि तत्कालीन भूपेश सरकार के कार्यकाल में IAS अफसर अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के सिंडिकेट के जरिए घोटाले को अंजाम दिया गया था.

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