कोंडागांव में लगा मड़ई मेला, 700 सालों से चली आ रही परंपरा, बंजारा समाज से जुड़ा है इतिहास
मड़ई मेला
सुनील यादव (कोंडागांव )
CG News: कोंडागांव का मंडई मेला आज 4 मार्च से शुरू हो गया है. मंगलवार को आयोजित देव मेले में विभिन्न परगनों से श्रद्धालु अपने ईष्ट देवी-देवताओं को लेकर पहुंचे और विधिवत पूजा-अर्चना के बाद पूरे मेला परिसर की परिक्रमा की. यह मेला ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है. बुजुर्गों के अनुसार, इसकी परंपरा लगभग 700 वर्षों से चली आ रही है.
कोंडागांव में लगा मड़ई मेला, बंजारा समाज से जुड़ा है इतिहास
ऐतिहासिक रूप से यह मेला तब शुरू हुआ जब बंजारा समाज के लोग यहां तालाब खोदने के लिए बसेरा डाले थे। खुदाई के दौरान मूर्तियां प्राप्त हुईं, जिनमें एक माता बंजारिन और दूसरी माता ढाबागोसिन थीं। इन्हीं देवियों की स्थापना के साथ मेले की परंपरा आरंभ हुई. देवी की सेवा के लिए उड़िसा सीमा से सिरहा को बुलाया गया और तब से यह परंपरा जारी है.
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सप्ताहभर चलता है मेला
मेले की शुरुआत हिंदू पंचांग के अनुसार माघ माह के पहले मंगलवार को होती है. इससे पहले माता पहुंचानी और जतरा की रस्में पूरी की जाती हैं। मेला शुरू होने से पहले पुजारी, पटेल और कोतवाल पारंपरिक रूप से गांव-गांव जाकर न्योता देते हैं। मंगलवार को देवी-देवताओं की परिक्रमा के बाद बुधवार को लोक नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की जाती है। मेला पूरे सप्ताहभर चलता है.
मेले में पहली बार आया ‘सुनामी झूला’
कोंडागांव मेले में इस बार नए झूले भी लगाए गए हैं, जिससे यह और भी रोमांचक बन गया है. मीना बाजार संचालक सुधीरकांत सिन्हा के अनुसार, वह पिछले 35 वर्षों से यहां बाजार लगा रहे हैं और हर साल नए झूलों की व्यवस्था की जाती है.
इस बार मेले में ‘ज्वाइंट फ्रेश वी’ और ‘सुनामी झूला’ पहली बार लगाया गया है, जो मेले का मुख्य आकर्षण रहेगा। इसके अलावा, मीना बाजार में खाने-पीने की चीजें, खिलौने, फैंसी आइटम्स और झूले लगाए गए हैं, जो बच्चों और युवाओं को खूब लुभा रहे हैं.
परंपरागत रूप से यह मेला धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन समय के साथ इसमें मनोरंजन के नए साधन जोड़े जा रहे हैं, जिससे यह सभी वर्गों के लिए आनंददायक बना हुआ है.