CG News: जनजातीय गौरव दिवस कार्यक्रम में छलका पद्मश्री पंडी राम मंडावी का दर्द, बोले- ‘जिस काष्ट कला से मुझे सम्मान मिला, उसे बाजार नहीं मिल रहा’
पद्मश्री पंडी राम मंडावी
CG News: अंबिकापुर में जनजातीय गौरव दिवस का आयोजन किया गया. इस आयोजन में छत्तीसगढ़ी काष्ट कला के लिए पद्मश्री से सम्मानित पंडी राम मंडावी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने विस्तार न्यूज से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ी काष्ट कला को लेकर उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया है. अब जब बस्तर नक्सली मुक्त हो रहा है तो ऐसे में बस्तर में सड़क, बिजली, पानी के अलावा स्कूली व्यवस्था को दुरुस्त करने की जरूरत है, क्योंकि नक्सलवाद की वजह से मूलभूत सुविधाएं बस्तर के गांव तक नहीं पहुंच पाई हैं.
नई पीढ़ी क्याें नहीं सीख रही काष्ट कला?
उन्होंने कहा कि अब बस्तर में यह कला खतरे में दिखाई दे रही है क्योंकि उनके द्वारा तैयार कलाकृतियां बाजार में नहीं बिक पा रही हैं, उन्हें सही मार्केट नहीं मिल पा रहा है और यही वजह है कि इस कला को इस दौर के युवक नहीं सीखना चाह रहे हैं. बाजार नहीं होने के कारण इनकम प्राप्त नहीं होता है. अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले दिनों में बस्तर की यह काष्ट कला विलुप्त हो सकती है. इसके लिए सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
पद्मश्री के बाद कई आयोजनों में हुए शामिल
उन्होंने आगे बताया कि पद्मश्री का सम्मान मिलने के बाद उन्हें सरकार के अलग-अलग आयोजनों में बुलाया जाता है, आने-जाने की व्यवस्था की जाती है और लोग अपने पहले से अधिक जानने लगे हैं. वो पिछले दिनों जापान गए थे. इसके अलावा वे कई अलग-अलग राज्यों में जाकर अपनी खास काष्ट कला और मूर्ति कला का प्रशिक्षण भी युवाओं को दे चुके हैं.
कौन हैं पद्मश्री पंडी राम मंडावी
68 वर्षीय पंडी राम मंडावी ने 12-16 साल की उम्र में अपने पूर्वजों से यह कला सीखी थी. उन्होंने लकड़ी पर उकेरी चित्रकारी, मूर्तियां और अन्य शिल्पकृतियों के माध्यम से बस्तर की कला को नए मुकाम तक पहुंचाया है. पंडी राम मंडावी ने एक सांस्कृतिक दूत के रूप में अपनी कला का प्रदर्शन आठ से अधिक देशों में किया है. अलग-अलग वर्कशॉप के जरिए एक हजार से अधिक कारीगरों को ट्रेनिंग देकर इस परंपरा को नई पीढ़ियों तक पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं. उन्हें 10 लाख रुपए की सहायता भी मिली है, जिससे वे शेड बनाकर युवाओं को वहां ट्रेनिंग देंगे.