CG: रायपुर में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल; सैलून में शटर गिराकर किया दुष्कर्म, स्कूल में महिला टीचर्स की अश्लील वीडियो बना रहा था हेडमास्टर
महिला से छेड़छाड़, दुष्कर्म करने वाले आरोपी और महिला टीचर्स का अश्लील वीडियो बनाने वाले आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
Input- Abhishek Tiwari
Women Safety In Raipur: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से दो बेहद शर्मनाक और झकझोर देने वाली घटनाएं सामने आई हैं. जिनमें महिलाओं की अस्मिता और सुरक्षा को बुरी तरह रौंदा गया है. इन घटनाओं ने न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दिखाया है कि चाहें शिक्षण संस्थान हो या कोई सार्वजनिक जगह महिलाएं कहीं भी पूरी तरह सुरक्षित नहीं हैं.
मदद की आस में पहुंची महिला बनी दरिंदगी का शिकार
पहली घटना धरसींवा थाना क्षेत्र के सिलतरा चौकी की है, जो 30 जून की दोपहर की है. यहां एक विवाहित महिला, जो दिहाड़ी मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालती है, उसे काम के बहाने शिव घृतलहरे नामक युवक ने अपने घर चावल साफ करने बुलाया. लेकिन जैसे ही महिला काम में जुटी, आरोपी ने उसके साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दीं. डरी-सहमी महिला खुद को बचाते हुए वहां से भाग निकली और पास की एक खुली सैलून दुकान में यह सोचकर शरण ली कि उसे कोई मदद मिलेगी.
लेकिन दुर्भाग्य ने उसका पीछा नहीं छोड़ा. सैलून संचालक योगेश सेन ने महिला की मजबूरी का फायदा उठाते हुए दुकान का शटर गिरा दिया और उसके साथ जबरन दुष्कर्म किया. यही नहीं, आरोपी ने महिला को पूरी रात अपनी दुकान में बंधक बनाकर रखा. अगली सुबह महिला को बाहर निकाला गया, जिसके बाद वह किसी तरह घर पहुंची और अपने पति को आपबीती सुनाई. इसके बाद पीड़ित महिला और उसका परिवार सिलतरा चौकी पहुंचे और शिकायत दर्ज करवाई.
पुलिस ने दोनों आरोपियों शिव घृतलहरे और योगेश सेन को गिरफ्तार कर लिया है. शिव पर छेड़छाड़ और योगेश पर दुष्कर्म और बंधक बनाने की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है. दोनों से पूछताछ जारी है और पुलिस इस मामले को संवेदनशील श्रेणी में लेकर आगे की जांच में जुटी हुई है.
महिला टॉयलेट में स्कूल हेडमास्टर ने छिपाया कैमरा
दूसरी चौंकाने वाली घटना रायपुर के तिल्दा नेवरा थाना क्षेत्र के ग्राम बिलाड़ी के मिडिल स्कूल की है. यहां स्कूल के हेडमास्टर भूपेंद्र कुमार साहू (44), जो कि संकुल समन्वयक भी है, ने महिला टीचर्स की टॉयलेट में मोबाइल छिपाकर अश्लील वीडियो बनाना शुरू किया था. घटना का खुलासा तब हुआ जब एक महिला शिक्षक की नजर टॉयलेट में रखे चालू मोबाइल पर पड़ी, जिसमें रिकॉर्डिंग चालू थी.
मोबाइल हेड मास्टर का निकला
महिला शिक्षक ने तुरंत बाकी स्टाफ को जानकारी दी और जब जांच हुई, तो मोबाइल स्कूल के हेडमास्टर का निकला. पूछताछ में आरोपी ने कबूल किया कि वह पिछले दो महीनों से वीडियो बनाकर उन्हें अपने दूसरे मोबाइल और लैपटॉप में ट्रांसफर करता था और बाद में देखता था. यह सुनकर सभी महिला शिक्षक दहशत में आ गईं.
मोबाइल को साइबर सेल को सौंपा गया
पुलिस ने आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट की धाराएं 66D, 77 और 238 के तहत एफआईआर दर्ज की है. आरोपी को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया गया है. मोबाइल की जांच करने पर अधिकांश वीडियो डिलीट मिले हैं, इसलिए उसे अब साइबर सेल को सौंपा गया है, जहां डेटा रिकवरी कराई जाएगी. इस घिनौने कृत्य के बाद कई महिला शिक्षिकाओं ने स्कूल में काम करने को लेकर असहजता जताई है, वहीं स्थानीय लोग भी स्कूल प्रशासन से नाराज हैं.
समाज पर गहरा सवाल: महिलाएं आखिर सुरक्षित कहां हैं?
इन दोनों घटनाओं ने न केवल पुलिस और प्रशासन की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि समाज की नैतिकता को भी आईना दिखाया है. एक ओर कोई महिला रोजी-रोटी के लिए काम पर निकलती है और मदद की आस में दरवाजे खटखटाती है, लेकिन वहां भी उसे दरिंदे मिलते हैं. दूसरी ओर, जिन स्कूलों में बच्चियों को शिक्षा और सुरक्षा का माहौल मिलना चाहिए, वहां का हेडमास्टर ही महिला टॉयलेट में कैमरा छिपाकर उनकी गरिमा से खिलवाड़ करता है.
यह स्थिति बेहद चिंताजनक है। इन घटनाओं ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि केवल कानून बनाना और आरोपी को गिरफ्तार कर लेना ही काफी नहीं है. समाज को अपनी मानसिकता बदलनी होगी, और महिलाओं की सुरक्षा को केवल ‘कागजी प्राथमिकता’ से निकालकर जमीनी हकीकत बनाना होगा.
स्थानीय प्रतिक्रिया और प्रशासन की भूमिका
इन दोनों मामलों में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन स्थानीय लोगों का गुस्सा थम नहीं रहा है. सिलतरा में घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल है, वहीं ग्राम बिलाड़ी में स्कूल स्टाफ और अभिभावकों में भय का माहौल है. सामाजिक संगठनों, महिला आयोग और जनप्रतिनिधियों ने भी इन घटनाओं की निंदा करते हुए सख्त कार्रवाई की मांग की है.
पुलिस प्रशासन का कहना है कि दोनों मामलों में जांच को प्राथमिकता दी जा रही है और पीड़ित महिलाओं को हर संभव सहायता दी जा रही है। पीड़िता की मेडिकल जांच के साथ-साथ उन्हें काउंसलिंग और कानूनी मदद भी मुहैया कराई जा रही है.
कब बदलेगा समाज का नजरिया?
रायपुर की ये घटनाएं आइसोलेटेड मामले नहीं हैं, बल्कि वे प्रतिनिधि घटनाएं हैं, जो पूरे देशभर में कहीं न कहीं रोज घट रही हैं. यह हम सभी के लिए आत्ममंथन का समय है कि हम महिलाओं को कितनी सुरक्षा और सम्मान दे पा रहे हैं. अगर शिक्षण संस्थान और सार्वजनिक स्थल भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहे, तो सवाल सिर्फ कानून का नहीं, समाज के चरित्र का भी है.
आज जरूरत है सिर्फ कार्रवाई की नहीं, बल्कि व्यापक सामाजिक बदलाव की. हमें लड़कियों और महिलाओं के लिए ऐसा माहौल बनाना होगा, जहां वे खुलकर बिना किसी डर, संकोच या शोषण के जी सकें. तभी इन घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जा सकेगा, और समाज वास्तव में ‘सशक्तिकरण’ की ओर बढ़ेगा.