पंचायत में सचिव का गजब घोटाला, खुद के फर्म से 4 साल में लगाया 20 लाख का बिल, अपने ही पिता को भी किया भुगतान
पंचायत सचिव का गड़बड़ घोटाला
Raigarh (अश्वनी मालाकार): छत्तीसगढ़ में पंचायत सचिव द्वारा जमकर भ्रष्टाचार करने का खुलासा हुआ है. यह खुलासा RTI (राइट टू इंफॉर्मेशन) के तहत हुआ है. रायगढ़ जिले में पंचायत सचिव ने अपने ही फर्म बेहरा ट्रेडर्स से अपने पदस्थापना वाले पंचायत में लाखों की समान सप्लाई कर दी. जबकि नियमों के मुताबिक कोई भी पंचायत सचिव अपने पदस्थापना वाले पंचायत में ऐसा नहीं कर सकता है. RTI में खुलासा हुआ कि 2021 से 2024 तक पंचायत में करीब 20 लाख रुपए के बिल लगाए गए हैं. पंचायत सचिव ने अपने पिता को इस भ्रष्टाचार के जरिए 87 हजार रुपए का भुगतान किया, जबकि खुद 4 लाख 59 हजार रुपए का कमीशन लिया.
भ्रष्ट सचिव का भंडाफोड़!
फेमस वेब सीरीज ‘पंचायत’ में सचिव जी के किरदार को बहुत पसंद किया गया है. सीरीज का यह किरदार बहुत वायरल भी है, लेकिन छत्तीसगढ़ से एक भ्रष्ट सचिव का मामला सामने आया है. यहां रायगढ़ जिले के जनपद पंचायत तमनार के बरकसपाली पंचायत में पदस्थ सचिव ने अपने ही फर्म से पंचायत को लाखों रुपए की सामान सप्लाई किया है. साथ ही PDS की कमीशन और अन्य कार्यों का भुगतान भी अपने परिजनों को कर दिया है.
RTI से हुआ खुलासा
पूरे मामले का खुलासा RTI से मिली जानकारी से हुआ. दरअसल, सूचना के अधिकार के तहत वित्तीय वर्ष 2021-22 से दिसंबर 2024 तक की जानकारी आवेदक ने मांगी थी. इसमें सचिव ने 315 पेज की जानकारी दी, जिसमें से 47 बिल बेहरा ट्रेडर्स के नाम से ही प्राप्त हुआ. पतरापाली गांव के रहने वाले समीर बेहरा बरकसपाली पंचायत में पदस्थ हैं और उन्होंने 2021 से दिसंबर 2024 तक अपने फर्म बेहरा ट्रेडर्स से ग्राम पंचायत बरकसपाली में 19 लाख 48 हजार 246 रुपए भुगतान किए हैं. इसमें से 11 लाख 48 हजार 894 रुपए भुगतान किए गए बिल में GST की सील लगी हुई है. साथ ही 7 लाख 99 हजार 352 रुपए के सामान्य बिल हैं.
अपने पिता को किया भुगतान
इस दौरान यह भी खुलासा हुआ कि सचिव समीर बेहरा ने अपने पिता को भी पंचायत से विभिन कार्यों के बदले 87 हजार रुपए का भुगतान किया है. इतना ही नहीं खुद भी 4 लाख 69 हजार रुपए PDS की कमीशन राशि ली है. सचिव ने पंचायत राज अधिनियम को दरकिनार करते हुए बड़ा भ्रष्टाचार किया है, जिसके बाद आवेदक ने जिम्मेदार अधिकारियों के पास शिकायत भी की है. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है. अब देखने वाली बात होगी कि कब जिम्मेदार कार्रवाई करते हैं.