सोशल मीडिया पर यूनिवर्सिटी के खिलाफ लिखना मना! पोस्ट किया तो होगा एक्शन, छात्रों ने किया विरोध
रायपुर कृषि विश्वविद्यालय
Raipur News: रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने अपने छात्रों के लिए नया फरमान जारी करने का फैसला लिया है. यह फरमान छात्रों को सोशल मीडिया पर विश्वविद्यालय के खिलाफ बोलने और लिखने पर पाबंदी लगाएगा. इसके तहत सोशल मीडिया पर छात्र अब विश्वविद्यालय के खिलाफ अपनी आवाज नहीं उठा पाएंगे. ये पाबंदी बस इसलिए लगाई जा रही है ताकि छात्र यूनिवर्सिटी की खामियों को सोशल मीडिया पर उजागर न कर सकें. नए फरमान की सूचना मिलते ही छात्र अब इसका विरोध कर रहे हैं.
सोशल मीडिया पॉलिसी
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय नई सोशल मीडिया पॉलिसी लागू करने जा रही है. जानकारी के मुताबिक हाल ही में विश्वविद्यालय में हुई एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यह प्रस्ताव पास हो चुका है. जल्द ही विश्वविद्यालय इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी कर सकता है, जिसका अब पुरजोर विरोध शुरू हो गया है. छात्रों ने विश्वविद्यालय के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और इस फैसले को गलत ठहराया है.
छात्रों को देना होगा शपथ पत्र
सोशल मीडिया पॉलिसी का पालन करने के लिए सभी छात्रों को शपथ पत्र देना होगा. इस शपथ पत्र में छात्रों को स्वीकार करना होगा कि वह सोशल मीडिया पर यानी फेसबुक इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसे प्लेटफार्म पर विश्वविद्यालय के खिलाफ कुछ भी नहीं लिखेंगे और अगर वह ऐसा करते हैं तो उनके खिलाफ विश्वविद्यालय कार्रवाई करेगा. इस शपथ पत्र में छात्रों को हस्ताक्षर करके देना होगा. इस फैसले को लेकर छात्रों में बहुत नाराजगी है. छात्रों का कहना है कि यदि यूनिवर्सिटी में खामियां दिखती है तो उसे सामने आना चाहिए ताकि यूनिवर्सिटी की व्यवस्था में सुधार हो सके, लेकिन यहां तो अभिव्यक्ति की आजादी को ही छीना जा रहा है. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रबंधन इस तरह का फरमान जारी कर अपनी खामियां को छुपाने का प्रयास कर रहा है.
IGKV पहला संस्थान
छत्तीसगढ़ में 14 सरकारी विश्वविद्यालय हैं. इसमें से इंदिरा गांधी कृषि विवि पहला संस्थान है, जहां छात्रों के लिए सोशल मीडिया पॉलिसी लागू करने की तैयारी की गई है. अब तक विश्वविद्यालयों में छात्र कैंपस की खामियों को लेकर प्रदर्शन करते आ रहे हैं. विश्वविद्यालय में फैली अव्यवस्था को लेकर छात्र बेझिझक सवाल उठाते हैं.
परीक्षा के बाद मूल्यांकन में अगर गड़बड़ी की आशंका होती है तो मुखरता से छात्र अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते हैं. कई बार प्रोफेसर और कॉलेज प्रशासन की डर की वजह से जो छात्र सामने खुलकर आवाज नहीं उठा पाते हैं. ऐसे छात्र सोशल मीडिया पर ही विश्वविद्यालय की खामियों को उजागर करते हैं, लेकिन कृषि विश्वविद्यालय में नए नियम लागू होने के बाद छात्र अव्स सोशल मीडिया पर अपनी आवाज नहीं उठा सकेंगे जिससे छात्रों की मुसीबत बढ़ जाएगी. यहां तक ही नहीं बल्कि दूसरे विश्वविद्यालय भी इस तरह की पॉलिसी ला सकते हैं, जो छात्रों के लिहाज से सही नहीं है. इस पर रोक लगाना जरूरी है.
कुलपति ने क्या कहा?
इस पूरे मामले में विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल का कहना है कि सोशल मीडिया के एथिकल यूज को बढ़ावा देने के लिए ऐसा फैसला लिया गया है. इसका असर सभी छात्रों पर नहीं पड़ेगा. अगर कोई बच्चा एथिकल यूज कर रहा है सोशल मीडिया का तो उसको डरने की जरूरत नहीं है. डिसिप्लिन को मेंटेन करने के लिए हम ऐसा कर रहे हैं.