कॉलेज में राजनीति करने वाला छात्र, कैसे बना डेढ़ करोड़ का इनामी नक्सली?
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Red Corridor: छत्तीसगढ़ में लाल आतंक खात्मे की ओर है. सुरक्षाबलों द्वारा लगातार चलाए जा रहे ऑपरेशन में अब तक कई बड़े और खूंखार नक्सली मारे गए हैं. इन्हीं मारे गए नक्सलियों में शामिल है सीपीआई का महासचिव और खूंखार नक्सली नेता नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू. 21 मई 2025 को अबूझमाड़ के जंगलों में सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन चलाया, जिसका नाम था ‘आपरेशन कगार’. सुरक्षाबलों के इस ऑपरेशन में 30 नक्सली मारे गए. इस मुठभेड़ में कुख्यात नक्सली नेता बसवराजू भी मारा गया. बसवराजू पिछले चार दशक से नक्सलियों का सरगना यानि रणनीतिकार बना हुआ था. चलिए जानते हैं कौन था बसवराजू, कैसे वो नक्सलियों से जुड़ा और आखिर क्यों उसपर डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित था?
कौन था खूंखार नक्सली नेता बसवराजू?
नंबाला केशव राव उर्फ बसवराजू बसवराजू आंध्रप्रदेश के श्रीकाकुलम जिले के जियन्नापेटा का रहने वाला था. बसवराजू का जन्म 1955 में हुआ था। 25 साल की उम्र में उसने NIT वारंगल से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. इस दौरान वो कॉलेज की राजनीति में सक्रिय था. इस दौरान RSS के सदस्यों के साथ उसका झगड़ा हुआ और यहीं से वो एक क्रांतिकारी बन गया. साल 1987 आते-आते उसका झुकाव LTTE यानि लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम की तरफ होने लग. लिट्टे से ही उसने गुरिल्ला वॉर की ट्रेनिंग ली और धीरे-धीरे नक्सल प्रभावित इलाकों में सक्रिय हो गया. इसी दौरान बसवराजू ने स्फोटक बनाने, IED लगाना सीखा और इसका मास्टरमाइंड बन गया. उसने नक्सली आंदोलन से जुड़कर प्रकाश, कृष्णा, विजय, उमेश और कमलू जैसे कई नामों से दहशत फैलाई. बसवराजू 18 सालों तक पोलित ब्यूरो सदस्य के तौर पर सक्रिय रहा. सात साल पहले यानि साल 2018 में बसवराजू को मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति की जगह CPI का महासचिव बना दिया गया.
डेढ़ करोड़ का इनामी था बसवराजू
150 जवानों के हत्यारे बसवराजू पर कुल डेढ़ करोड़ का इनाम घोषित था. दरअसल, छत्तीसगढ़ सरकार में हाल ही में सभी सेंट्रल कमेटी के महासचिव और पोलित ब्यूरो सदस्यों पर एक-एक करोड़ के इनाम की घोषणा की थी. बसवराजू पर NIA, CBI समेत अलग-अलग राज्यों में कई इनाम घोषित थे, जिससे बसवराजू के ऊपर घोषित इनाम डेढ़ करोड़ तक पहुंच चुका था.
बसवराजू के परिवार की कहानी
बसवराजू का पूरा परिवार हैदराबाद से लगभग 720 किलोमीटर दूर जियान्नापेट गांव में रहता था. बसवराजू के पिता वासुदेव राव इस छोटे-से गांव में एक शिक्षक थे. बसवराजू की तीन बहनें और दो भाई थे. बसवराजू के नक्सल संगठन से जुड़ने के बाद भी उसका पूरा परिवार जियान्नापेट में ही रहता है. बसवराजू का मां 82 साल की हैं. बसवराजू का एक भाई विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट में विजिलेंस ऑफिसर है. उसके परिवार में डॉक्टर, शिक्षक और स्थानीय नेता तक मौजूद हैं. बसवराजू की पत्नी का नाम शारदा था, जो एक माओवादी कमांडर थी। साल 2010 में शारदा ने आत्महत्या कर ली. बसवराजू की मौत के बाद उसके दोनों भाईयों ने सुरक्षाबल के जवानों पर गंभीर आरोप भी लगाए. बसवराजू के छोटे भाई नंबाला रामप्रसाद ने कहा कि शव लेने के दौरान पुलिस अधिकारियों ने उसकी हिंदी न समझने का फायदा उठाने की कोशिश की और उसे हिंदी में लिखे कुछ कागजों पर दस्तख़त करने को कहा गया. वहीं, बड़े भाई ढिल्लेश्वर राव ने कहा कि पुलिस ने उनके छोटे भाई रामप्रसाद को गिरफ्तार करने की कोशिश की.
बसवराजू के कार्यकाल में हुए हमले
नक्सल संगठन से जुड़ने के बाद से ही बसवराजू ने नक्सली वारदातों को अंजाम देने लगा. उसने सबसे पहला हमला साल 2003 में किया, जब अलीपीरी में बम विस्फोट हुआ. इस विस्फोट के जरिए नक्सलियों ने आंध्र प्रदेश के तत्कालीन सीएम चंद्रबाबू नायडू की हत्या की कोशिश की थी. इसके बाद साल 2010 में हुए दंतेवाड़ा नरसंहार में भी बसवराजू शामिल रहा. नक्सलियों के इस हमले में CRPF के 76 जवान मारे गए थे. फिर 2013 में हुआ झीरम घाटी हमला, जब नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हमला करते हुए वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं सहित 27 लोग मार दिए। इस घटना में भी बसवराजू का हाथ था. चौथी घटना साल 2019 में हुई, जब नक्सलियों ने शयामगिरी पर हमला किया. इसमें बीजेपी विधायक भीमा मंडावी सहित पांच लोग मारे गए. बसवराजू का नाम साल 2020 में भी सुर्खियों में रहा, जब मिनपा में नक्सलियों के एंबुश में सुरक्षाकर्मी फंस गए और इसमें 17 जवान शहीद हो गए. जबकि साल 2021 में बीजापुर के टेकलगुड़ेम में नक्सलियों ने बड़ी वारदात को अंजाम देते हुए 22 जवानों को मार दिया. इस हादसे में भी बसवराजू का हाथ बताया जाता है.
बसवराजू का अंतरराष्ट्रीय चरमपंथियों से संपर्क
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि बसवराजू न सिर्फ भारत में बल्कि विदेश में भी चरमपंथियों से संपर्क में था. उसने अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी संगठनों के साथ भी संबंध बनाए. कहा जाता है कि उसने जर्मनी, तुर्की और पेरू की यात्रा तक की, जिसका मकसद विदेश से संबंध स्थापित करना था.
बसवराजू की मौत से टूटी नक्सलियों की रीढ़
बसवराजू नक्सल संगठन का मुख्य रणनीतिकार था. वो बड़े-बड़े हमले की साजिश रचने में भी कामयाब था, जिसकी नतीजा ये रहा कि उसके कार्यकाल में बस्तर में कई बड़े हमले हुए. बसवराजू कई सालों तक अंडरग्राउंड रहा और खुफिया जाल से बचा रहा. आखिरकार सुरक्षाबलों को उसे लेकर जानकारी मिली कि वो बीजापुर और दंतेवाड़ा के बीहड़ में छिपा हुआ है, जिसके बाद DRG, CRPF और STF ने संयुक्त अभियान चलाते हुए 50 घंटे तक नक्सलियों को घेरे रखा और आखिरकार जवानों को बड़ी सफलता मिली. इस मुठभेड़ में बसवराजू समेत 30 नक्सली मारे गए.
नक्सलियों के पास से जवानों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और नक्सल सामाग्री बरामद की. ऐसे में माना जा रहा है कि बसवराजू की मौत से नक्सली संगठन और कमोजर हुआ और उनकी रीढ़ टूट गई.