छत्तीसगढ़ के इस गांव में नहीं रखते गणेश की मूर्ति, जानें इसकी अनोखी कहानी
गोपालपुर
नितिन भांडेकर (खैरागढ़)
Chhattisgarh: गणेश चतुर्थी पर जहां हर घर और हर गली में गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई देती है, वहीं खैरागढ़ जिले का एक ऐसा भी गांव है, जहां इस पर्व की परंपरा बिल्कुल अलग है. ग्राम गोपालपुर खुर्द में गणेश चतुर्थी पर नई प्रतिमा की स्थापना नहीं की जाती. गांव में पहले से स्थापित दो सौ साल पुरानी अष्टभुजी गणेश प्रतिमा ही ग्रामीणों की आस्था का केंद्र है. मान्यता है कि जिसने भी यहाँ नई प्रतिमा स्थापित की है, उसके साथ अप्रिय घटनाएँ घटीं. इसी कारण आज तक यह परंपरा कायम है.
इस गांव में नहीं रखते गणेश की मूर्ति
गोपालपुर खुर्द, जहाँ गणेश चतुर्थी पर नहीं होती गणेश प्रतिमा की स्थापना पूरे देश में जब गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणपति बप्पा मोरिया” की गूंज घर-घर, गली-मोहल्लों और मंदिरों तक सुनाई देती है, तब छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ ज़िले का एक गाँव अपनी अनोखी परंपरा निभाता है. ग्राम गोपालपुर खुर्द में गणेश चतुर्थी पर नई गणेश प्रतिमा की स्थापना नहीं की जाती.
ये है कारण
ग्रामीणों का मानना है कि गांव में लगभग दो सौ साल पुरानी अष्टभुजी गणेश प्रतिमा पहले से ही स्थापित है. मान्यता है कि जिसने भी यहां गणेश चतुर्थी पर अलग से प्रतिमा स्थापित की, उसके साथ अप्रिय घटनाएँ घटी. इसी कारण पीढ़ियों से यह परंपरा चली आ रही है और गांववाले केवल उसी प्राचीन अष्टभुजी गणेश की पूजा करते हैं.
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धार्मिक आस्था और परंपरा का संगम
गांव के लोग बताते हैं कि वे गणेश चतुर्थी के दिन नई प्रतिमा नहीं रखते, बल्कि प्राचीन प्रतिमा की विशेष पूजा-अर्चना और आरती करते हैं. उनके अनुसार यही गणेश जी की आज्ञा और गांव की अटूट मान्यता है.