NMDC प्रबंधन के अनुरोध के बावजूद ट्रेड यूनियनों ने की अवैध हड़ताल, काम हुआ प्रभावित
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Chhattisgarh: एनएमडीसी प्रबंधन और सक्षम प्राधिकारियों की शांति की अपील के बावजूद श्रमिक संगठनों ने वेज एरियर्स भुगतान के लिए राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) में अवैध हड़ताल का रास्ता अपनाया है, जबकि इस समय सुलह प्रक्रिया चल रही है और फाइल मंजूरी के लिए संबंधित प्राधिकारियों के पास है.
ट्रेड यूनियनों ने किया अवैध हड़ताल
एनएमडीसी प्रबंधन ने मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय), नई दिल्ली को सूचित किया है कि ट्रेड यूनियनों ने 6 मार्च, 2025 से काम को जानबूझकर धीमा करने और वर्क-टू-रूल का रास्ता अपनाया है जो गैर कानूनी हड़ताल के समान है. नई दिल्ली में मुख्य श्रम आयुक्त के समक्ष सुलह कार्यवाही 17 मार्च, 2025 को निर्धारित है लेकिन बैठक से पहले ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का मार्ग अपनाया है. पिछली बैठक में सुलह कंशीलियेशन ऑफिसर (सीओ) ने अपने आदेश में एनएमडीसी प्रबंधन और ट्रेड यूनियनों, दोनों को, इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाने के लिए कहा है. सीओ ने ट्रेड यूनियनों से यह भी अनुरोध किया कि वे इस प्रकरण में जल्दबाजी न करें और हड़ताल पर न जाएं क्योंकि प्रकरण में सुलह प्रक्रिया चल रही है.
यह ध्यान देने योग्य है कि ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने कार्यवाही के मिनिट्स पर हस्ताक्षर किए हैं और औद्योगिक शांति और सद्भाव बनाए रखने का समर्थन किया है. परंपराओं को दरकिनार करते हुए ट्रेड यूनियनों ने हड़ताल का आह्वान किया है.
एनएमडीसी प्रबंधन ने किया अनुरोध
सूत्रों के मुताबिक वेतन समझौते को लेकर ट्रेड यूनियनों और एनएमडीसी प्रबंधन के बीच पहले ही समझौता हो चुका है. इस मामले को पुष्टि के लिए इस्पात मंत्रालय के पास भेजा गया था. एनएमडीसी प्रबंधन मंत्रालय के साथ मामले पर निरंतर निवेदन कर रहा है, और परिणाम के बारे में यूनियन नेताओं को समय-समय पर सूचित करता रहा है.
यूनियनों द्वारा मांग-पत्र (चार्टर ऑफ डिमांड) 27 फरवरी, 2023 को प्रस्तुत किया गया था. एनएमडीसी प्रबंधन ने तेजी से कार्रवाई की और 8 महीने के भीतर ट्रेड यूनियनों के साथ आम सहमति बन गई थी. द्विपक्षीय उप-समिति ने अगस्त 2024 में अपनी सिफारिशें प्रस्तुत कीं. इसके बाद, एनएमडीसी बोर्ड ने सितंबर 2024 में प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी थी.
वार्षिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए पहले से ही जूझ रहे एनएमडीसी के उत्पादन को हड़ताल ने बुरी तरह से प्रभावित किया है. वित्त वर्ष के आखिरी महीने की शुरुआत में सरकारी क्षेत्र का माइनर लक्ष्य से पीछे है. पिछले कुछ दिनों में उत्पादन में 60 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है, जिससे कंपनी के लिए पिछले वित्त वर्ष में दर्ज किए गए उत्पादन को हासिल करना भी एक बडी चुनौती बन गई है. हड़ताल का निश्चित रूप से कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में वर्तमान वित्त वर्ष में अगर कंपनी का उत्पादन एवं वित्तीय प्रदर्शन खराब रहता है तो कर्मचारियों को इसका खामियाजा भुगतना पड सकता है. प्रबंधन ट्रेड यूनियनों से अपील करता रहा है कि वे प्रतिकूल कदम न उठाएं क्योंकि यह राष्ट्र, कंपनी और कर्मचारियों के भी हित में नहीं है.