बहुत चर्चा है: ब्रांडिंग वाले मंत्री जी को फटकार….ब्यूरोक्रेसी का अगला बॉस कौन…? कहां फंस गया DGP के नाम का पेंच?

छत्तीसगढ़ में ब्यूरोक्रेसी के बॉस की तलाश की जा रही है. चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन का कार्यकाल जून में पूरा हो रहा है. ऐसे में दो प्रमुख नाम चर्चा में है. पहले सुब्रत साहू दूसरा रेनू पिल्ले.

सूबे के एक मंत्री अपनी ब्रांडिंग का कोई तरीका नहीं छोड़ते. कई बार तो वह मुखिया से भी आगे बढ़कर ब्रांडिंग करने की रेस में निकल जाते हैं. एक बार ऐसा हुआ कि मंत्री जी ने एक नई टेक्नोलॉजी को लेकर घोषणा कर दी. मंत्री जी के पक्ष में पोस्टर, बैनर होर्डिंग और सोशल मीडिया पट गया. मंत्री जी अकेले ही छाए हुए थे. मुखिया जी की ना तस्वीर, ना नाम. फिर क्या था बवाल हो गया, बुलाया गया. मुखिया जी की टीम ने मंत्री जी को नसीहत दी. बाद में इस टेक्नोलॉजी का नए सिरे से प्रचार किया गया और मुखिया जी की ब्रांडिंग के साथ कैंपेन को लॉन्च किया गया.

ब्यूरोक्रेसी का अगला बॉस कौन?

छत्तीसगढ़ में ब्यूरोक्रेसी के बॉस की तलाश की जा रही है. चीफ सेक्रेटरी अमिताभ जैन का कार्यकाल जून में पूरा हो रहा है. ऐसे में दो प्रमुख नाम चर्चा में है. पहले सुब्रत साहू दूसरा रेनू पिल्ले. हालांकि रेनू पिल्ले के नाम की चर्चा कम है और ब्यूरोक्रेसी में यही चर्चा है कि आखिर रेनू पिल्ले के नाम की चर्चा क्यों कम हो रही है. ब्यूरोक्रेसी के आला अफसर की माने तो रेनू पिल्ले ईमानदार हैं. अपने कार्यकाल के दौरान कभी भी विवादों में नहीं रही. भ्रष्टाचार के किसी तरह के आरोप नहीं लगे, लेकिन उनके नाम की चर्चा कम होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि वह नियम कानून से चलती हैं और उन्हें किसी तरीके से दबाव में डिरेल नहीं किया जा सकता है. चर्चा यह है कि अगर राज्य सरकार रेनू पिल्ले को चीफ सेक्रेटरी बनती है, तो वह नाजिर होगा. प्रदेश में पहली बार कोई महिला चीफ सेक्रेटरी बनेगी. कांग्रेस सरकार में पहली बार किसी आदिवासी को चीफ सेक्रेटरी बनाया गया था, जिसकी खूब वाहवाही भी हुई थी.

कहां फंस गया DGP के नाम का पेंच?

सरकार ने अस्थाई डीजीपी के रूप में अरुण देव गौतम की नियुक्ति की. स्थाई डीजीपी के लिए चार नाम का पैनल भेजा गया. जिसमें अरुण देव गौतम, जीपी सिंह पवन देव और हिमांशु गुप्ता का नाम था. चर्चा है कि डीओपीटी से हिमांशु गुप्ता और अरुण देव गौतम के नाम की फाइल छत्तीसगढ़ पहुंच चुकी है. आखिर वह कौन सा पेंच है, जिसके कारण सरकार स्थाई डीजीपी की घोषणा नहीं कर पा रही है, यह सबसे बड़ा चर्च का मुद्दा है. बताया जा रहा है कि राज्य सरकार हिमांशु गुप्ता को कंटिन्यू करने के मूड में है, लेकिन केंद्र की तरफ से यह दबाव है कि हिमांशु गुप्ता को डीजीपी बना दिया जाए. वरिष्ठता के लिहाज से भी हिमांशु कम नहीं है. गुप्ता पीएचक्यू में लंबे समय से पदस्थ हैं उन्हें फील्ड और पीएचक्यू के अधिकारियों के बीच तालमेल बिठाने में दिक्कत नहीं आएगी हालांकि अरुण देव गौतम पीएचक्यू में कभी लंबे समय तक नहीं रहे हैं.

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