यह यूट्यूब हैकिंग घटना इस बढ़ते ट्रेंड का हिस्सा है जिसमें प्रमुख यूट्यूब चैनलों को क्रिप्टोकरेंसी घोटालों के लिए निशाना बनाया जा रहा है. Ripple Labs ने भी पहले यूट्यूब के खिलाफ इसी प्रकार की धोखाधड़ी रोकने में विफलता के लिए मुकदमा दायर किया था.
गुरपतवंत सिंह पन्नू के बारे में बताया जाता है कि वह अमेरिका और कनाडा की दोहरी नागरिकता रखता है और भारत में आतंकवाद के आरोपों में वॉन्टेड है. पन्नू खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) का प्रमुख है और खालिस्तान की मांग करता रहता है.
मुकेश अहलावत को दलित समुदाय को साधने के उद्देश्य से कैबिनेट में शामिल किया गया है. हालांकि कुलदीप कुमार भी मंत्री पद के लिए एक संभावित उम्मीदवार थे, लेकिन अहलावत को प्राथमिकता दी गई. नॉर्थ-वेस्ट दिल्लीमें 10 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से 3 दलितों के लिए रिजर्व हैं.
पीएम ने कांग्रेस के शाही परिवार को भ्रष्ट और देश में भ्रष्टाचार का प्रमुख कारण बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता डोगरा विरासत पर जानबूझकर हमला कर रहे हैं और मोहब्बत की दुकान के नाम पर नफरत फैला रहे हैं.
जस्टिस बी. पी. कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) को ‘इमरजेंसी’ के प्रमाणपत्र पर जल्द निर्णय लेने का निर्देश दिया.
हरियाणा की राजनीति में युवा वोटरों का विशेष महत्व है, और इस बात को दोनों पार्टियां बखूबी समझती हैं. यही कारण है कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने प्रदेश के युवाओं को रोजगार देने का वादा किया है. दोनों दलों ने अपने-अपने घोषणापत्रों में 2 लाख सरकारी नौकरियां सृजित करने का संकल्प लिया है.
एक देश, एक चुनाव का मतलब है कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक ही समय पर कराए जाएं. सोचिए, सभी चुनाव एक ही दिन में, या एक निश्चित समय सीमा में हो जाएं. क्या यह सपना हकीकत बन सकता है? मोदी सरकार का मानना है कि इससे देश के विकास में रुकावटें कम होंगी. बार-बार चुनावी माहौल में फंसी सरकारें अब विकास पर ध्यान दे सकेंगी.
अरविंद केजरीवाल ने इसे दिल्ली की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है. केजरीवाल ने अपने इस्तीफे की वजह बताते हुए कहा कि वह लोगों के फैसले का सम्मान करते हैं और उनकी राजनीति की ईमानदारी पर विश्वास करते हैं.
हिज्बुल्लाह की धमकी के बाद इजरायल ने लेबनान की सीमा पर 20 हजार सैनिक तैनात कर दिए हैं. इजरायली पीएम और राष्ट्रपति ने सुरक्षा की स्थिति की समीक्षा के लिए मुलाकात की और सेना ने आक्रमण और रक्षा की तैयारियों का जायजा लिया.
इस निर्णय के बाद राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे देश की चुनावी व्यवस्था के लिए एक आवश्यक सुधार मानते हैं, जबकि अन्य इस पर चिंताओं का इज़हार कर रहे हैं कि इससे लोकतंत्र की विविधता पर असर पड़ सकता है.