कहानी यहीं खत्म नहीं होती. जब धरती छोटी थी, तब एक मंगल ग्रह जितनी बड़ी चट्टान उससे टकराई. इस टक्कर से निकला मलबा चंद्रमा बना. इसके बाद भी अंतरिक्ष से ढेर सारी चट्टानें धरती पर गिरीं. वैज्ञानिक इसे 'लेट एक्रीशन' कहते हैं. इन चट्टानों में सोने जैसे तत्व थे, जो धरती पर बिखर गए.
ट्रंप का ये फैसला सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है. अमेरिका में स्टील की कीमतें पहले ही 984 डॉलर प्रति टन हैं, जो यूरोप (690 डॉलर) और चीन (392 डॉलर) से कहीं ज्यादा हैं. नए टैरिफ के बाद ये कीमतें 1,180 डॉलर तक पहुंच सकती हैं.
मेघालय और मिजोरम में भी कोहराम मेघालय के चेरापूंजी और मासिनराम में एक दिन में 47 सेंटीमीटर बारिश हुई. भूस्खलन, बिजली गिरने और डूबने की घटनाओं में सात लोग मारे गए, जिनमें तीन बच्चे शामिल हैं. मिजोरम में छह लोगों की मौत हुई, जिसमें तीन म्यांमार के नागरिक भी थे.
कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में लगातार कटौती से छोटे व्यापारियों को राहत मिली है, जो उनकी लागत कम करेगी. वहीं, घरेलू सिलेंडर की स्थिर कीमतें आम परिवारों के लिए सुकून की बात है.
मामले की सुनवाई मऊ की एमपी-एमएलए कोर्ट में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह की बेंच में हुई. कई बार सुनवाई टलने के बाद 28 मई को बहस पूरी नहीं हो सकी थी, जिसके बाद कोर्ट ने 31 मई की तारीख तय की. आज कोर्ट ने अब्बास को दोषी ठहराया.
वनंतरा रिसॉर्ट का मालिक और एक पूर्व बीजेपी नेता के बेटे पुलकित आर्या ने दावा किया था कि अंकिता की मौत एक हादसा थी. उसने कहा कि अंकिता रात 9 बजे चीला नहर में गिर गई थी और उसने उसे बचाने की कोशिश की. लेकिन जांच में उसकी कहानी झूठी निकली.
इससे पहले निचली अदालत में भी यह मामला पहुंचा था. वहां NHAI की ओर से एक संशोधन याचिका दाखिल की गई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया. वक्फ की ओर से इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर की गई, लेकिन उसे भी खारिज कर दिया गया. आखिरकार, हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि यह जमीन NHAI की है और वक्फ का दावा पूरी तरह से हवा-हवाई है.
भारत की इस रफ्तार ने न सिर्फ पड़ोसी देश चीन को परेशान किया है, बल्कि अमेरिका और IMF जैसे बड़े खिलाड़ियों को भी सोच में डाल दिया है. जहां चीन की ग्रोथ मार्च तिमाही में सिर्फ 5.4% रही, वहीं भारत ने 7.4% की रफ्तार पकड़ी.
मेघा के भाषण के दौरान कई छात्रों ने 'फ्री फिलिस्तीन' के नारे लगाए, लेकिन कुछ खामोश रहे. MIT ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. मेघा ने यह भी बताया कि MIT के अंडरग्रैजुएट और ग्रैजुएट स्टूडेंट यूनियन ने इजरायल के साथ संबंध तोड़ने के पक्ष में वोट किया था, लेकिन यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को धमकियां दीं.
सवर्ण आयोग के जरिए नीतीश बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाना चाहते हैं. अगर अगड़ी जातियां यह महसूस करेंगी कि उनकी बात सुनी जा रही है, तो वे जेडीयू की ओर झुक सकती हैं. इसके इतर नीतीश ने EBC, OBC, और अल्पसंख्यकों को पहले ही साध रखा है.