बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और वक्फ कानून का मुद्दा वोट बैंक की रोटी सेंकने का मौका बन गया. ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी. दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि टीएमसी ने जानबूझकर तनाव को बढ़ाया. खुफिया सूत्रों की मानें, तो इस हिंसा में 2019 के सीएए विरोध की तरह सोशल मीडिया टूलकिट्स का इस्तेमाल हुआ.
इस कहानी में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब पता चला कि राहुल का ये पहला “भागने” वाला कारनामा नहीं है. पिछले साल भी वो अपने गांव की एक दूसरी महिला के साथ फरार हो गया था. पुलिस अब राहुल के दोस्तों और जीजा योगेश से भी पूछताछ कर रही है, जिसने ये रिश्ता तय करवाया था.
अवॉर्ड लेने के दौरान धोनी का मजेदार अंदाज देखने को मिला. प्रेजेंटर मुरली कार्तिक ने जब उन्हें बुलाया, तो धोनी हंसते हुए बोले, "मैं सोच रहा था, मुझे क्यों दे रहे हो? कई और खिलाड़ियों ने अच्छा खेला, नूर अहमद को दे देते."
पारस ने साफ किया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रही है. गांव-गांव जाकर संगठन को मजबूत करने का प्लान तैयार है. लेकिन गठबंधन का दरवाजा भी पूरी तरह बंद नहीं है.
बिहार की सियासत में अचानक नई पार्टियों की बाढ़-सी आ गई है. अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच चार नए दल अस्तित्व में आए हैं, और हर दल अपने-अपने तरीके से बिहार की जनता का दिल जीतने की जुगत में है.
गोली चलते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई. कुछ नौजवानों ने गुस्से में बाजार की दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी. दुकानदार डर के मारे इधर-उधर भागने लगे. पुलिस को फौरन मौके पर पहुंचना पड़ा. हल्का बल प्रयोग करके भीड़ को तितर-बितर किया गया.
जमीयत की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सबसे पहले, यह समझने की कोशिश की गई कि पुराने और नए कानून में क्या अंतर हैं और ये बदलाव मुस्लिम समाज के लिए क्यों परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि अगर वक्फ में दान देना मुश्किल हो रहा है, तो लोग ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकते हैं.
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर संविधान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सत्ता हासिल करने के लिए संविधान को हथियार बनाया. पीएम ने 2013 में वक्फ ऐक्ट में किए गए बदलाव पर जोर देते हुए कहा कि यह कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करने के लिए किया गया था.
गांव के ही शाहिद मियां पर गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं. जावेद का दावा है कि शाहिद हर साल दरगाह पर होने वाले उर्स मेले और चढ़ावे से मिलने वाली रकम में भारी हेराफेरी कर रहे हैं. लाखों रुपये की इस आमदनी का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा गया है. इससे न केवल दरगाह की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि वक्फ संपत्ति के प्रबंधन की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में है.
गांवों में गाय के गोबर का इस्तेमाल मिट्टी के घरों को ठंडा रखने के लिए आम है, लेकिन शहर के एक यूनिवर्सिटी कॉलेज में ऐसा होना लोगों के लिए नया है. इस कदम पर कॉलेज के छात्रों और टीचर्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. कुछ छात्रों का कहना है कि क्लासरूम में पहले से पंखे लगे हैं, फिर गोबर लगाने की क्या जरूरत?