राकेश कुमार

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राकेश कुमार विस्तार न्यूज़ में वरिष्ठ उप संपादक सह संवाददाता के पद पर हैं. यहां वो डेटा स्टोरीज, एक्सप्लेनर के अलावा इन डेप्थ खबरों पर काम करते हैं. माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में मास्टर्स डिग्री हासिल कर चुके राकेश को रिसर्च में इंटरेस्ट है. इन्हें राजनीति के अलावा बिजनेस, मनोरंजन और लीगल न्यूज स्टोरीज पर काम करना पसंद है. काम के इतर बात करें, तो राकेश को खाली वक्त में फिल्में, क्रिकेट खेलने और किताब पढ़ने में मजा आता है. पूर्व में राकेश सहारा समय नेशनल न्यूज़ चैनल, फीवर FM, APN न्यूज़ और भारत एक्सप्रेस जैसे संस्थानों से जुड़े थे.

Bengal Violence

यूपी, बिहार, महाराष्ट्र के मुसलमान शांत, फिर बंगाल में बवाल क्यों? जानिए क्या है पूरा माजरा

बंगाल में 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं, और वक्फ कानून का मुद्दा वोट बैंक की रोटी सेंकने का मौका बन गया. ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल में इस कानून को लागू नहीं होने देंगी. दूसरी ओर, बीजेपी का दावा है कि टीएमसी ने जानबूझकर तनाव को बढ़ाया. खुफिया सूत्रों की मानें, तो इस हिंसा में 2019 के सीएए विरोध की तरह सोशल मीडिया टूलकिट्स का इस्तेमाल हुआ.

Aligarh Love Story

गुजरात, उत्तराखंड, बिहार या बंगाल…कहां चले गए अलीगढ़ से भागे सास-दामाद? पुलिस के छूटे पसीने!

इस कहानी में एक और चौंकाने वाला मोड़ तब आया, जब पता चला कि राहुल का ये पहला “भागने” वाला कारनामा नहीं है. पिछले साल भी वो अपने गांव की एक दूसरी महिला के साथ फरार हो गया था. पुलिस अब राहुल के दोस्तों और जीजा योगेश से भी पूछताछ कर रही है, जिसने ये रिश्ता तय करवाया था.

MS Dhoni

धोनी का धमाकेदार कमबैक, 6 साल बाद मिला मैन ऑफ द मैच, बोले- मुझे नहीं, उसे दो

अवॉर्ड लेने के दौरान धोनी का मजेदार अंदाज देखने को मिला. प्रेजेंटर मुरली कार्तिक ने जब उन्हें बुलाया, तो धोनी हंसते हुए बोले, "मैं सोच रहा था, मुझे क्यों दे रहे हो? कई और खिलाड़ियों ने अच्छा खेला, नूर अहमद को दे देते."

Pashupati Kumar Paras

पशुपति पारस ने NDA से तोड़ा नाता, क्या चुनाव से पहले जाएंगे ‘इंडी ब्लॉक’ के साथ?

पारस ने साफ किया कि उनकी पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर लड़ने के लिए जोर-शोर से तैयारी कर रही है. गांव-गांव जाकर संगठन को मजबूत करने का प्लान तैयार है. लेकिन गठबंधन का दरवाजा भी पूरी तरह बंद नहीं है.

Bihar Politics

7 महीने, 4 नई पार्टियां…बिहार विधानसभा चुनाव से पहले संयोग या सियासी प्रयोग?

बिहार की सियासत में अचानक नई पार्टियों की बाढ़-सी आ गई है. अक्टूबर 2024 से अप्रैल 2025 के बीच चार नए दल अस्तित्व में आए हैं, और हर दल अपने-अपने तरीके से बिहार की जनता का दिल जीतने की जुगत में है.

Ambedkar Jayanti

आंबेडकर जयंती पर यूपी के जलेसर में बवाल, शोभा यात्रा से पहले दलित युवक पर ताबड़तोड़ फायरिंग

गोली चलते ही इलाके में अफरा-तफरी मच गई. कुछ नौजवानों ने गुस्से में बाजार की दुकानों में तोड़फोड़ शुरू कर दी. दुकानदार डर के मारे इधर-उधर भागने लगे. पुलिस को फौरन मौके पर पहुंचना पड़ा. हल्का बल प्रयोग करके भीड़ को तितर-बितर किया गया.

Jamiat Ulema-e-Hind

‘वक्फ कानून’ पर ऐसे मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद, दिल्ली में हुई अहम बैठक

जमीयत की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सबसे पहले, यह समझने की कोशिश की गई कि पुराने और नए कानून में क्या अंतर हैं और ये बदलाव मुस्लिम समाज के लिए क्यों परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि अगर वक्फ में दान देना मुश्किल हो रहा है, तो लोग ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकते हैं.

PM Modi

“इतना ही प्यार है तो मुसलमानों को अध्यक्ष क्यों नहीं बनाते”, PM Modi ने कांग्रेस पर कसा तंज

पीएम मोदी ने कांग्रेस पर संविधान के साथ खिलवाड़ करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा सत्ता हासिल करने के लिए संविधान को हथियार बनाया. पीएम ने 2013 में वक्फ ऐक्ट में किए गए बदलाव पर जोर देते हुए कहा कि यह कट्टरपंथी मुसलमानों को खुश करने के लिए किया गया था.

Janeta Dargah Sambhal

“सरकारी जमीन पर है जनेटा दरगाह, फिर भी वसूली करते हैं वक्फ वाले…”, कानून लागू होने के बाद मोहम्मद जावेद ने संभल DM से की शिकायत

गांव के ही शाहिद मियां पर गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं. जावेद का दावा है कि शाहिद हर साल दरगाह पर होने वाले उर्स मेले और चढ़ावे से मिलने वाली रकम में भारी हेराफेरी कर रहे हैं. लाखों रुपये की इस आमदनी का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा गया है. इससे न केवल दरगाह की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि वक्फ संपत्ति के प्रबंधन की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में है.

Delhi University

दिल्ली यूनिवर्सिटी की प्रिंसिपल ने दीवारों को गोबर से लीपा, विवाद बढ़ने के बाद दिया ये तर्क, जमकर वायरल हो रहा है VIDEO

गांवों में गाय के गोबर का इस्तेमाल मिट्टी के घरों को ठंडा रखने के लिए आम है, लेकिन शहर के एक यूनिवर्सिटी कॉलेज में ऐसा होना लोगों के लिए नया है. इस कदम पर कॉलेज के छात्रों और टीचर्स की मिली-जुली प्रतिक्रिया आई है. कुछ छात्रों का कहना है कि क्लासरूम में पहले से पंखे लगे हैं, फिर गोबर लगाने की क्या जरूरत?

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