क्फ बिल की बहस ने एक नया रिकॉर्ड बनाया. पुराने रिकॉर्ड्स में एक दिन में 14 घंटे से ज्यादा की बहस का जिक्र नहीं मिलता. GST और लोकपाल जैसे सत्र 12-13 घंटे तक चले, लेकिन वक्फ बिल ने उस सीमा को पार कर दिया. हालांकि, प्राचीन डेटा की कमी के कारण इसे 100% निश्चित कहना मुश्किल है. फिर भी, आधुनिक समय में ये निश्चित रूप से सबसे लंबी एकल सत्र बहसों में से एक है.
बाकी देश भी लपेटे में चीन पर 54% टैरिफ के साथ ट्रंप ने साफ कर दिया कि वह अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर होने के बावजूद निशाने पर रहेगा. वहीं, कंबोडिया पर 49%, वियतनाम पर 46%, और यूरोपीय संघ पर 20% टैरिफ लगेगा.
ठाकुर ने दावा किया कि इस विधेयक को व्यापक समर्थन मिल रहा है. कैथोलिक बिशप कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, केरल काउंसिल ऑफ चर्चेस, ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच जैसे संगठनों ने इसका स्वागत किया है.
भारत सरकार के मुताबिक, कई इस्लामिक देश ऐसे हैं जहां वक्फ की कोई व्यवस्था नहीं है. इनमें तुर्किये, लीबिया, इजिप्ट, सूडान, लेबनान, सीरिया, जॉर्डन, ट्यूनीशिया और इराक शामिल हैं. यानी इन देशों में न तो वक्फ बोर्ड है और न ही ऐसी संपत्तियों को मैनेज करने का कोई खास सिस्टम.
ललन सिंह ने कहा कि कुछ लोग इसे मुस्लिमों के खिलाफ बताकर देश का माहौल खराब कर रहे हैं. वक्फ कोई धार्मिक संस्था नहीं, बल्कि एक प्रशासनिक ट्रस्ट है जो मुस्लिम समुदाय के हितों के लिए काम करता है. लेकिन अभी तक वक्फ बोर्ड में पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.
उत्तर प्रदेश में वक्फ संशोधन बिल को लेकर सबसे ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है. योगी सरकार ने राज्य के सभी जिलों में पुलिस को हाई अलर्ट पर रखा है. खास तौर पर लखनऊ, बरेली, संभल, मुरादाबाद और अलीगढ़ जैसे संवेदनशील इलाकों में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई है.
किरेन रिजिजू ने कहा कि इस बिल को लाने से पहले सभी पक्षों की राय ली गई है. उन्होंने कहा कि देश भर से 97 लाख से ज्यादा सुझावों को सुना गया. 25 राज्यों के वक्फ बोर्ड ने भी सुझाव दिए और उन पर भी विचार किया गया. 1954 में पहली बार आजाद भारत में वक्फ बोर्ड ऐक्ट आया था.
बिहार में यादव, EBC (अति पिछड़ा वर्ग), और ऊंची जातियों के वोटर नीतीश का मजबूत आधार हैं. वक्फ बिल के बहाने अगर हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण हुआ, तो बीजेपी और JDU मिलकर इन वोटों को अपने पाले में कर सकते हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान नीतीश इसे 'प्रशासनिक सुधार' का नाम दे सकते हैं.
पिछड़े मुस्लिमों की आवाज उठाने वाला ये संगठन बिल को 85% मुस्लिमों के लिए फायदेमंद मानता है. संगठन का कहना है कि वक्फ संपत्तियों पर 'अशराफ' (अगड़ी जाति) मुस्लिमों का कब्जा है, जो गरीब मुस्लिमों के हक को दबा रहे हैं.
वक्फ बिल को लेकर दो पक्ष हैं—सरकार और समर्थक इसे जरूरी सुधार मानते हैं, जबकि विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे खतरा बता रहे हैं. दोनों की बातें ऐसे समझिए. सरकार का कहना है कि वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन है, जिसकी कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. सरकार कहती है कि इसका गलत इस्तेमाल रोकने के लिए नियम सख्त करना जरूरी है.