2015 में नेपाल में आए भूकंप ने वहां भारी तबाही मचाई. उस वक्त भारत ने 'ऑपरेशन मैत्री' शुरू किया. भारतीय सशस्त्र बलों ने नेपाल में बचाव और राहत कार्यों को हाथ में लिया. भारत ने ना सिर्फ राहत सामग्री भेजी, बल्कि 43,000 से ज्यादा भारतीयों को नेपाल से सुरक्षित निकालने का काम भी किया.
उत्तराखंड के स्थानीय लोग मानते हैं कि 2013 की भीषण बाढ़ का कारण धारी देवी की मूर्ति को उसके स्थान से हटाना था. 16 जून 2013 को जब मूर्ति को स्थानांतरित किया गया, उसी शाम को उत्तराखंड में बाढ़ आ गई थी, जिसमें हजारों लोग मारे गए थे.
तनाव इतना बढ़ गया कि दंपति ने अपनी जान देने की ठानी. डियांगो नजरत ने अपनी जान लेने के लिए गला काट लिया, जबकि उनकी पत्नी प्लैवियाना ने जहर खा लिया. दोनों ने एक सुसाइड नोट छोड़ा, जिसमें उन्होंने इस पूरे मामले के बारे में बताया है.
अब सवाल यह उठता है कि क्या नेपाल में हालात बांग्लादेश जैसे हो सकते हैं, जहां सरकार के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए थे और कई लोगों की जान गई थी? नेपाल की स्थिति अब तक तो वैसी नहीं हुई, लेकिन अगर हिंसा और असंतोष बढ़ते गए, तो देश में राजनीतिक हालात खराब हो सकते हैं.
अमित शाह का बिहार दौरा एक और वजह भी खास है, और वह है नीतीश कुमार के नेतृत्व को लेकर चल रही असमंजस की स्थिति को खत्म करना. 2022 में एनडीए से अलग होने के बाद नीतीश कुमार ने 2024 में वापसी की थी, और उनके नेतृत्व को लेकर कई सवाल उठाए जा रहे थे.
होली के दिन जज के आवास पर आग लगने की खबर आई. मौके पर फायर फायटर्स को भेजा गया. इस दौरान आग बुझाने वाली टीम ने जस्टिस के स्टोर रूम में नोटों की गड्डियां देखीं, जो आग की चपेट में आकर जल गई थीं. इसके बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ एक आंतरिक जांच कमेटी गठित की.
स्थानीय लोगों ने सीढ़ी लगाकर उनकी मदद की, लेकिन कूदते समय एक छात्रा गिर गई. सौभाग्य से, उसे कोई गंभीर चोट नहीं आई और वह सुरक्षित बच निकली. इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है.
कांग्रेस प्रवक्ता ज्ञान रंजन गुप्ता ने कहा, "क्या केवल बीजेपी और आरएसएस समर्थक ही धार्मिक हो सकते हैं और बाकी सभी लोग अछूत माने जाएंगे?" उन्होंने इस कृत्य को भगवान परशुराम के वंशजों का अपमान बताया.
अब, नीतीश कुमार की सरकार इस पैसे को वापस लाने की कोशिश कर रही है. सरकार का लक्ष्य साफ है. 950 करोड़ रुपये वसूलने के लिए एक बड़ी आर्थिक लड़ाई लड़ी जा रही है. इसके लिए सरकार ने सीबीआई और इंकम टैक्स से मदद ली है, ताकि यह रकम वापस लाई जा सके.
सुनवाई के दौरान जब याचिकाकर्ता के वकील ने यह दावा किया कि उनके मुवक्किल को झूठे आरोपों में फंसाया गया है, तो जस्टिस सूर्यकांत ने मजाकिया अंदाज में कहा, “आपने तो गुंडों को किराए पर लिया है, एक हेलमेट पहने हुए, दूसरा टोपी लगाए बाइक पर… और अब आप फंस गए हैं क्योंकि आपके खिलाफ साक्ष्य हैं.”