वोट बैंक और जातीय समीकरण के कारण गई सम्राट चौधरी की कुर्सी, दिलीप जायसवाल पर BJP ने क्यों खेला दांव?

बिहार के राजनीतिक गलियारों में जिस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना. जनवरी 2024 में जब से भाजपा सत्ता में आई है और नीतीश कुमार एनडीए में वापस आ गए हैं, तब से यह लगभग तय था कि सम्राट चौधरी को जल्द ही हटा दिया जाएगा
Bihar BJP President

दिलीप जयसवाल और सम्राट चौधरी

Bihar BJP President: बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार में बड़ा बदलाव किया है. मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी को हटाकर डॉ. दिलीप जायसवाल को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया है. डॉ. दिलीप जायसवाल वर्तमान में राज्य सरकार में भूमि एवं राजस्व मंत्री हैं और तीसरी बार विधान परिषद के सदस्य हैं. 2009 में पहली बार एमएलसी चुने गए जायसवाल खगड़िया जिले से आते हैं.

दिलीप जायसवाल कलवार जाति से ताल्लुक रखते हैं. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति को बिहार में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में अपने “वैश्य” वोट बैंक को मजबूत करने की दिशा में पार्टी द्वारा एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

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पहले ही लिखी जा चुकी थी पटकथा

हालांकि, बिहार के राजनीतिक गलियारों में जिस बात पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है, वह है सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाना. जनवरी 2024 में जब से भाजपा सत्ता में आई है और नीतीश कुमार एनडीए में वापस आ गए हैं, तब से यह लगभग तय था कि सम्राट चौधरी को जल्द ही हटा दिया जाएगा, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार में उपमुख्यमंत्री बनाया गया था और लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष का पद भी संभाला था.

सम्राट चौधरी के नेतृत्व पर उठ रहा था सवाल

भाजपा में एक ही समय में किसी व्यक्ति के पद पर बने रहने का कोई प्रावधान नहीं है. लेकिन, लोकसभा चुनाव में भाजपा के प्रदर्शन ने सम्राट चौधरी के नेतृत्व पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जो पार्टी के लिए अपनी जाति, कुशवाहा और कोइरी के वोट हासिल करने में सफल नहीं रहे. जिसके कारण भाजपा ने बिहार में लड़ी गई 17 सीटों में से केवल 12 पर ही जीत हासिल की. उनके लिए इससे भी बुरी बात यह रही कि पारंपरिक रूप से भाजपा का वोट बैंक रहा कुशवाहा वोट बैंक राजद में चला गया, क्योंकि लालू प्रसाद ने लोकसभा चुनाव में कुशवाहा समुदाय के सात उम्मीदवारों को टिकट दिया.

2024 में बीजेपी के हाथों से निकली ये सीटें

ताबूत में आखिरी कील भाजपा द्वारा औरंगाबाद, सासाराम, बक्सर और आरा जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर हारना था. 2019 में ये सभी सीटें भाजपा के पास थीं, लेकिन 2024 में पार्टी सभी सीटें हार गई. औरंगाबाद में हार, जिसे “बिहार का चित्तौड़” भी कहा जाता है, भगवा पार्टी के लिए बड़ा झटका था, क्योंकि राजद के अभय कुशवाहा इस सीट से विजयी हुए और लोकसभा में राजद संसदीय दल के नेता बने.

लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद यह भी अटकलें लगाई जा रही थीं कि भाजपा उन्हें प्रदेश अध्यक्ष के रूप में बनाए रख सकती है और उन्हें उपमुख्यमंत्री के पद से हटा दिया जाएगा, क्योंकि उनके नीतीश कुमार के साथ बहुत बेहतर संबंध नहीं थे. लेकिन अब ऐसा लगता है कि भगवा पार्टी ने राज्य में 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के भीतर बदलाव करना पसंद किया है.

दिलीप जायसवाल पर भाजपा ने क्यों खेला दांव?

डॉ दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करके, भाजपा ने अपने वैश्य वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश की है. ऐसा लगता है कि उसने बिहार में कोइरी और कुशवाहा वोट बैंक को वापस लुभाने की उम्मीद छोड़ दी है, जो अब राजद की ओर चला गया है.

सीमांचल, जहां बीजेपी काफी कमजोर है, वहां दिलीप जयसवाल बीजेपी का सबसे मजबूत चेहरा है. जायसवाल को अमित शाह का करीबी भी माना जाता है, पिछली बार जब अमित शाह किशनगंज गए थे तो इनके आवास पर गए थे. इस बदलाव के बाद सम्राट चौधरी नीतीश कुमार सरकार में उपमुख्यमंत्री के रूप में बने रहेंगे. सम्राट चौधरी पहले राजद में थे और फिर जदयू में चले गए और बाद में भाजपा में आ गए. मार्च 2023 में उन्हें बिहार भाजपा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.

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