Bihar: मनीष वर्मा को JDU में बड़ी जिम्मेदारी, कुछ दिनों पहले ही पार्टी में हुए थे शामिल, रह चुके हैं नीतीश के सलाहकार
Manish Verma: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा ने हाल ही में जनता दल (यूनाइटेड) की सदस्यता ग्रहण की थी. जेडीयू में मनीष की एंट्री के बाद से ही इस बात के कयास थे कि पार्टी में उनको बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. जेडीयू ने अब मनीष वर्मा की जिम्मेदारी का ऐलान कर दिया है. मुख्यमंत्री और जेडीयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मनीष वर्मा को बड़ी जिम्मेदारी देते हुए राष्ट्रीय महासचिव बनाया है. पूर्व आईएएस मनीष वर्मा को संगठन की जिम्मेदारी सौंपी गई है.
मनीष वर्मा के नाम की चर्चा सीएम नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी के तौर पर भी होती रही है. मनीष वर्मा को मिली नई जिम्मेदारी के बाद अब ये चर्चा और तेज हो गई है कि क्या जेडीयू में नीतीश कुमार के बाद मनीष ही नंबर-2 होंगे? हाल ही में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दिल्ली में बैठक हुई थी. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में नीतीश के करीबी राज्यसभा सांसद संजय झा को जेडीयू का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया था.
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आरसीपी सिंह की जगह लेंगे मनीष वर्मा
संजय झा को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने के बाद ये चर्चा चल निकली थी कि क्या संजय झा पार्टी में नीतीश के बाद नंबर-2 होंगे? लेकिन अब मनीष वर्मा को दी गई इस जिम्मेदारी के बाद मनीष के नंबर-2 होने की बातें शुरू हो गई हैं. ऐसा इसलिए भी हो रहा है क्योंकि मनीष को आरसीपी सिंह की सारी जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं और वे आरसीपी की ही तर्ज पर काम करेंगे.
जेडीयू के अध्यक्ष रह चुके आरसीपी भी मनीष वर्मा की ही तरह सीएम नीतीश कुमार की जाति और जिले से आते थे. आरसीपी भी पूर्व आईएएस अफसर थे और नीतीश के उत्तराधिकारी के रूप में उनके नाम की भी चर्चा होती थी. आरसीपी ने जब जेडीयू से सियासी सफर का आगाज किया, तब उनको भी नीतीश ने संगठन की जिम्मेदारी सौंपी थी और बाद में वह राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी तक भी पहुंचे.
रह चुके हैं सीएम नीतीश का सचिव
मनीष वर्मा 2000 बैच के ओडिशा कैडर के IAS अधिकारी हैं. ओडिशा में 12 साल तक सेवारत रहे मनीष कई जिलों के जिलाधिकारी भी रहे. 2012 में पिता की बीमारी का हवाला देकर वह प्रतिनियुक्ति पर बिहार आए. मनीष पटना और पूर्णिया में जिलाधिकारी रहे, समाज कल्याण विभाग और बिजली कंपनियों में भी तैनाती मिली. मनीष सीएम नीतीश के सचिव भी रहे हैं. प्रतिनियुक्ति की अवधि समाप्त होने के बाद मूल कैडर से बुलावा भी आया लेकिन वह फिर लौटकर ओडिशा नहीं गए.