RJD को बड़ा झटका, पूर्व मंत्री श्याम रजक ने पार्टी से दिया इस्तीफा, बोले- मैं मोहरा बनता गया

Shyam Rajak Quit RJD: वहीं इस्तीफे को लेकर श्याम रजक ने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर कर कहा कि मैं शतरंज का शौकिन नहीं था, इसलिए धोखा खा गया. आप मोहरे चल रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था
Shyam Rajak

श्याम रजक, पूर्व मंत्री

Shyam Rajak Quit RJD: बिहार के सियासी गलियारे से बड़ी खबर सामने आ रही है. दरअसल पूर्व मंत्री श्याम रजक ने RJD से इस्तीफा दे दिया है. आरजेडी के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को अपना इस्तीफा भेज दिया है. श्याम रजक आरजेडी में राष्ट्रीय महासचिव के पद पर थे. श्याम रजक ने अपने इस्तीफे की जानकारी सोशल मीडिया के जरिये दी. बता दें, श्याम रजक नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू को छोड़कर आरजेडी में शामिल हुए थे.

वहीं इस्तीफे को लेकर श्याम रजक ने सोशल मीडिया पोस्ट शेयर कर कहा कि मैं शतरंज का शौकिन नहीं था, इसलिए धोखा खा गया. आप मोहरे चल रहे थे, मैं रिश्तेदारी निभा रहा था. श्याम रजक ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब वह जेडीयू से आरजेडी में आए थे तब आरजेडी सुप्रीमो से उनकी कई तरह की बातें हुई थी. उन्हें बड़े मौके देने की बात कही गई थी. लेकिन, मैं शतरंज का शौकीन नहीं था इसलिए मोहरा बनता गया.

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बता दें, श्याम रजक ने सोशल मीडिया के अब जेडीयू में शामिल होने की खबरें आ रही है. जेडीयू में शामिल होने की खबरों पर श्याम रजक ने कहा कि अभी इंतजार करिए, जैसा भी होगा बता दूंगा. हालांकि श्याम रजक ने नीतीश कुमार की तारीफ करते हुए कहा कि वह अच्छे नेता हैं. मैंने उनके साथ पहले भी काम किया है.

जदयू में शामिल होने के सवाल पर क्यो बोले?

राजद से इस्तीफा देने पर पूर्व राजद नेता श्याम रजक ने कहा, “…मैंने जेपी आंदोलन से शुरुआत की और चंद्रशेखर जी के साथ राजनीति की शुरूआत की, इसलिए मुझे स्वाभिमान, सम्मान और काम के विजन के अलावा कुछ नहीं आता… जिन मूल्यों को लेकर हमने राजद का निर्माण किया, वे कहीं पीछे छूट गए हैं.” जदयू में शामिल होने की खबरों पर उन्होंने कहा, “मैंने अभी इस बारे में नहीं सोचा है, मैं राजनीतिक मान्यताओं के साथ राजनीति करता हूं, जिस पार्टी में हूं, उसके प्रति ईमानदार रहता हूं.

मैंने राजद से इस्तीफा दे दिया है, अब मेरे लिए दरवाजे खुले हैं, मैं सभी से बात कर सकता हूं. मेरे पास दो ही विकल्प हैं, या तो मैं संन्यास ले लूं या फिर फुलवारी की जनता के अधूरे काम पूरे करूं और दलितों और युवाओं की लड़ाई जारी रखूं, अगर मैं उनके दो आंसू भी पोंछ पाया तो अपना जीवन सफल मानूंगा.”

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