Bihar: क्या बिहार में बदलने वाली है सियासी बयार? नीतीश को लेकर लालू के करीबी विधायक के बयान से बढ़ी हलचल
Bihar: बिहार की राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. कब कौन सी पार्टी किस बड़ी पार्टी में विलय कर ले, या कब कौन से नेता पलट जाए ये सब कुछ बिहार की राजनीति में संभव है. इसमें सबसे बड़ा नाम बिहार के सीएम नीतीश कुमार का है. हालांकि, हाल के दिनों में नीतीश ने यह कई बार कहा है कि अब भजपा को छोड़ कर वह कहीं नहीं जाएंगे. मगर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के एक विधायक ने नीतीश कुमार को लेकर ऐसा बयान दे दिया है कि बिहार की सियासत में हलचल मच गई है.
राजद करेगा नीतीश का स्वागत
RJD विधायक और लालू यादव के करीबी भाई बीरेंद्र ने CM नीतीश कुमार को लेकर कहा है कि अगर वो साथ आते हैं तो राजद उनका स्वागत करेगी. बिहार में आगे साल चुनाव होने को हैं. ऐसे में राजद विधायक के इस बयान ने बिहार की सियासत में हलचल मचा दिया है. राजद विधायक भाई बीरेंद्र ने भविष्य में गठबंधन को लेकर बड़ा बयान दिया है. भाई वीरेंद्र ने संभावनाओं को लेकर कहा है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है. सियासत में कोई भी परमानेंट दोस्त और दुश्मन नहीं होता.
भाई वीरेंद्र ने बयान देते हुए कहा, ‘राजनीति परिस्थिति का खेल है. हो सकता है बिहार में फिर से खेला हो जाए. अगर नीतीश कुमार सांप्रदायिक शक्तियों को छोड़कर आएंगे तो हम उनका स्वागत करेंगे.’ राजद विधायक का ये बयान तब आया है जब राज्य में कुछ महीने बाद बिहार विधानसभा का चुनाव होने वाला है.
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मुस्लिम वोटर्स को साधने की भाजपा की तैयारी
इधर, आरिफ मोहम्मद खान को बिहार का नया राज्यपाल बनाया गया है. चुनाव से पहले बिहारके राज्यपाल को बदलना भाजपा का बड़ा मास्टर स्ट्रॉक हो साबित हो सकता है. क्योंकि, बिहार की राजनीति में ‘MY’ यानी मुस्लिम और यादव समीकरण काफी अहम भूमिका निभाता है. ऐसे में भाजपा M के अपर क्लास को सड़ने के लिए आरिफ मोहम्मद को बिहार लेकर आई है. आरिफ मोहम्मद को मुस्लिम समाज का प्रगतिशील चेहरा माना जाता है. वह खुलकर राष्ट्रवाद का समर्थन करते हैं और हिंदुत्व को देश का मूल आधार मानते हैं.
हालांकि, आरिफ मोहम्मद खान के रूप में बिहार को 26 साल बाद मुस्लिम राज्यपाल मिला है. 26 साल बाद अगर कोई मुस्लिम राज्यपाल बिहार आया है तो इसके सियासी मायने भी जरुर अहम होंगे. आरिफ के बिहार आने से भाजपा बिहार में अपना राजनीतिक विस्तार करना चाहती है. इसीलिए बेहतर रणनीति के तहत है BJP ने यह फैसला लिया है. इसके साथ ही बिहार में एनडीए के सहयोगी दलों (जेडीयू, लोजपा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) को भी एक बड़ा बूस्ट होगा.