Mahishasur Puja Reason: जशपुर जिले में एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. यहां मनौरा विकासखंड में कुछ समुदाय ऐसे हैं, जो महिषासुर को अपना पूर्वज मानते हैं और नवरात्रि के दौरान उनकी विशेष पूजा करते हैं. ये लोग इसे छल मानते हैं. उनका मानना है, कि देवताओं ने मिलकर उनके पूर्वज की हत्या की थी. यही कारण है कि वे दुर्गा पूजा से दूर रहते हैं.
छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में स्थित नानकसागर गांव को “पिंक विलेज” कहा जाता है. यह गांव स्वच्छता और सामाजिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है.
Ambikapur: छत्तीसगढ़ में कई धार्मिक, टूरिस्ट प्लेस हैं, जिनमें से अम्बिकापुर का महामाया मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है. यहां एक ऐसा मंदिर है जहां बिना सिर वाली मूर्ति की पूजा की जाती है. हर साल इस मंदिर में श्रद्धालुओं का भीड़ देखी जाती है. बताते हैं कि महामाया मंदिर के नाम पर अंबिकापुर का नाम पड़ा है. महामाया या अंबिका देवी के सम्मान में अम्बिकापुर को ये नाम दिया गया है
Bastar Dussehra 2025: देश भर में छत्तीसगढ़ का बस्तर दशहरा मशहूर है. 75 दिनों तक चलने वाले इस बस्तर दशहरा की खास परंपराओं में शामिल रथ परिक्रमा 6 दिनों तक चलती है. इस बार यह परिक्रमा 24 सितंबर से शुरू हो रही है, जिसके लिए रथ बनाने की तैयारी शुरू हो गई है. इस बार चार चक्के के फूल रथ का निर्माण शुरू हो गया है. जानें इस खास परंपरा के बारे में-
भारत एक ऐसा देश है जो चारों तरफ प्राकृतिक सौन्दर्य से घिरा हुआ है. यहां की नदियां, पहाड़, पेड़-पौधे, झरने एक अलग ही पहचान देते हैं. वहीं भारत के छतीसगढ़ राज्य में एक ऐसा हिल स्टेशन जगह है, जहां पानी उल्टा बहता है. इस तस्वीर में देखिए रहस्यमयी जगह की खूबसूरत नजारे.
बिजली गिरना केवल गांवों या खेतों की बात नहीं है, यह कहीं भी गिर सकती है. पूरे देश में बिजली गिरने से हर साल कई लोगों की मौत हो जाती है. ऐसे में मौसम विभाग ने एक ऐसा एप बनाया है, जो बिजली गिरने से कुछ ही मिनट पहले आपको बता देगा जिससे आप सचेत हो सकते हैं. आइए जानते हैं की वह कौन सा एप है और कैसे काम करता है.
CG News: कांकेर से इस बस्ती की दूरी 35 किलोमीटर है. नरहरपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले ग्राम रिसेवाड़ा के जंगल में पारधी जनजाति परिवार के 10 घर बने है. यहां रहने वालों की संख्या 35 है, लेकिन इनके घरों में कोई दरवाजा नहीं लगा है
Chhattisgarh Pitru Paksha tradition: छत्तीसगढ़ में पितृपक्ष की परंपरा 7 सितंबर से शुरू हो चुकी है और इसका समापन 21 सितंबर तक होगा. छत्तीसगढ़ में पितृपक्ष केवल श्राद्धकर्म तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक पर्व की तरह मनाया जाता है.
Ambikapur Tourist Place: अपनी प्राकृतिक सुंदरता और सांस्कृतिक विरासत लिए छत्तीसगढ़ की गोद में बसा अंबिकापुर. यदि आप प्रकृति के करीब आना चाहते हैं और शांति का अनुभव करना चाहते हैं, तो अंबिकापुर आपके लिए एक परफेक्ट प्लेस है. जहां जाकर आपका दिल खुश हो जाएगा.
बस्तर के अबूझमाड़ में अनोखी परंपरा है. यहां लोग आत्माओं की पूजा करते हैं. इस परंपरा को आदिवासी समाज में 'आना कुड़मा' कहा जाता है. 'आना कुड़मा' का मतलब आत्मा का घर होता है.