Arvind Kejriwal: दिल्ली में पूर्व सीएम को ना घर मिलता है और ना ही गाड़ी, सीएम पद से इस्तीफा देने के बाद केजरीवाल सिर्फ एक विधायक रह जाएंगे और दिल्ली में विधायकों को भी ना तो घर मिलता है और ना ही गाड़ी. सिर्फ सैलरी मिलती है.
Arvind Kejriwal: आप के एक पदाधिकारी ने कहा, “दिल्ली आप की जन्मभूमि होने के साथ-साथ प्रयोगशाला भी है. सीएम पद से इस्तीफा देकर केजरीवाल ने विधानसभा चुनावों के लिए दांव बढ़ा दिया है.
अब जब आतिशी मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं, तो सवाल यह उठता है कि क्या उनकी भूमिका सिर्फ एक नाममात्र की होगी? क्या वे केवल एक प्रतीक बनकर रह जाएंगी और असली निर्णय अरविंद केजरीवाल ही लेंगे?
दिल्ली की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस पहले से ही आतिशी के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने की कोशिश में जुटे हैं. बीजेपी ने पहले ही बांसुरी स्वराज को दिल्ली में राजनीतिक मोर्चे पर उतारा है. बांसुरी स्वराज, सुषमा स्वराज की बेटी हैं, और उनके राजनीति में आने से दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ आया है. हालांकि, आतिशी को टारगेट करना विपक्ष के लिए उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि वह एक मजबूत महिला नेता के रूप में उभर रही हैं.
Delhi CM Atishi: दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विजय कुमार सिंह और तृप्ता वाही के घर जन्मी आतिशी ने अपनी आर्किटेक्चरल शिक्षा नई दिल्ली के स्प्रिंगडेल्स स्कूल से और इतिहास की पढ़ाई सेंट स्टीफंस कॉलेज से पूरी की हैं.
Delhi CM Atishi: दिल्ली की कालकाजी सीट से पहली बार विधायक बनीं आतिशी केजरीवाल सरकार में सबसे ज्यादा विभाग संभाल रही थीं. उन्हें अरविंद केजरीवाल के सबसे करीबियों में से एक माना जाता है.
Atishi: आप के गठन के समय से ही आतिशी पार्टी के साथ जुड़ी हुई हैं. जनवरी 2013 में उन्हें पार्टी के लिए नीति निर्धारण के काम में शामिल किया गया. उसके बाद हर गुजरते साल के साथ उनकी छवि पार्टी की एक कर्मठ और जिम्मेदार पदाधिकारी के तौर पर मजबूत होती रही.
Arvind Kejriwal: अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग से मांग की थी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के साथ ही दिल्ली में भी विधानसभा चुनाव कराए जाएं. हालांकि केजरीवाल की इस मांग पर अमल होना काफी मुश्किल है.
Delhi Chief Minister: आतिशी ने केजरीवाल के फैसले को दुनिया के लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे बड़ा फैसला बताया. भाजपा पर निशाना साधते हुए आतिशी बोलीं, 'उन्होंने सारी एजेंसियां अरविंद जी के पीछे लगा दीं.
2022 में पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले, आम आदमी पार्टी ने सिंबल पॉलिटिक्स की शुरुआत की थी. पार्टी ने अपने पोस्टरों में भगत सिंह और बाबा साहेब अंबेडकर की तस्वीरें दिखाई. इसका उद्देश्य था भगत सिंह के समर्थकों और अंबेडकर के अनुयायियों को एक साथ जोड़ना.