Chhattisgarh: अंग्रजों के जमाने जैसी बिल्डिंग में बना 100 बेड का अस्पताल, इलाज कराने के लिए 5 दिनों तक लगती है लाइन
Chhattisgarh: बिलासपुर कोटा मार्ग पर गनियारी के पास 100 बेड का जन सहयोग स्वास्थ्य केंद्र अस्पताल बना है. बड़ी बात यह है कि इलाज के लिए यहां पांच-पांच दिन लाइन लग रही है. ओपीडी में पंजीयन के लिए लोग चादर-तकिया, बिस्तर लेकर इस अस्पताल में पहुंच रहे हैं, ताकि नंबर आने पर उन्हें इलाज मिल सके. अंग्रेजों के जमाने के जैसी बिल्डिंग पर बने इस अस्पताल की रूपरेखा ही अलग-अलग है. छोटे-छोटे कमरों में एक्सरे, एमआरआई समेत अन्य जांच सुविधाएं संचालित की जा रही है. लगभग 20 साल से यह अस्पताल ऐसे ही संचालित हो रहा है.
रियायती दरों पर इलाज मिलने के कारण यहां सिर्फ छत्तीसगढ़ के ही ज़िलों से नहीं बल्कि मध्य प्रदेश के मंडला,उमरिया, भोपाल अमरकंटक समेत जबलपुर तक के लोग यहां पहुंच रहे हैं. मरीजों को भरोसा है कि उनके स्थानीय मेडिकल कॉलेज से भी अच्छा इलाज उन्हें यहां मिलेगा.
बच्चों को दीवारों का सहारा देकर चढ़ा रहे सलाइन
दरअसल, शनिवार को स्वास्थ्य केंद्र पर कुछ बीमार बच्चों को सलाइन चढ़ाई हुई थी. इस छप्पर वाले अस्पताल में दीवारों पर से ही सलाइन लटका दी गई थी. अस्पताल कैंपस में बच्चों की माँ उन्हें दूध पिला रही थी और इसी अवस्था में उन्हें सलाइन भी चढ़ाई जा रही थी.
अस्पताल का दावा- हर तरह का इलाज
जन सहयोग स्वास्थ्य केंद्र के प्रशासनिक अधिकारी भास्कर परमानंद का दावा है कि उनके अस्पताल में हर तरह का इलाज मिल रहा है. आंख, नाक, कान, गला, पेट पर और यहां तक की न्यूरो सर्जरी तक के इंतजाम उपलब्ध कराए गए हैं. उनके यहां कुल 21 डॉक्टरों की टीम है जो रोज अलग-अलग मरीजों की सर्जरी और जांच इलाज करती है.
सब कुछ खुद ही बना रहे
बता दें कि अस्पताल प्रबंधन ने संसाधनों के स्टेरलाइजेशन के लिए कुछ मशीनें लगाई हुई है. कर्टन पट्टी के अलावा और कई उत्पाद भी यहीं बन रहे हैं. साथ ही मरीज के गंदे कपड़ों को धोने के लिए मशीन भी रखी गई है. अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक, इसके चलते ही रोजाना उनकी ओपीडी में 400 मरीज का जांच और इलाज होता है. अस्पताल प्रबंधन का दावा है कि वह न सिर्फ छत्तीसगढ़ बल्कि यहां के जंगलों में भी इलाज की सुविधा पहुंचा रहे हैं. कोटा क्षेत्र के 70 गांवों में उन्होंने एक अलग सेटअप बैठाया है, जहां छोटे बच्चों से लेकर महिलाओं और बुजुर्गों तक का इलाज किया जा रहा है. उनके इन्हीं 70 गांव में एंटी वेनम और बाकी सुविधाएं भी मौजूद हैं.