Chhattisgarh: अंबिकापुर में 300 करोड़ की सड़क 8 साल से अधूरी, धूल के गुबार से परेशान लोग

Chhattisgarh News: अंबिकापुर पत्थलगांव तक 74 किलोमीटर हाइवे का निर्माण 2017 में शुरू हुआ था.
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अम्बिकापुर-पत्थलगांव राष्ट्रीय राजमार्ग

Chhattisgarh News: सरकार जनता के साथ ऐसे कई वादे करती है, जिसे वो कभी पूरा नहीं करती और जनता मुंह ताके बैठे रहती है कि अब उनके हित में कोई काम होगा. लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कोई काम नहीं होता. ऐसा ही मामला अंबिकापुर से सामने आया है. यहां पत्थलगांव में नेशनल हाइवे 43 का निर्माण तो पूरा हो गया लेकिन कई पुलियों का निर्माण आज तक अधूरा है. इसका निर्माण कार्य वैसे तो पिछले आठ साल से चल रहा है. लेकिन काम अबतक पूरा नहीं हो पाया है. जिससे वहां से आने-जाने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. परेशानी इतनी बढ़ गई है कि आसपास के रहवासी अपना घर तक छोड़ने को मजबूर हैं.

300 करोड़ की सड़क 8 साल से अधूरी

ये अंबिकापुर के पत्थलगांव का नेशनल हाइवे 43 है. यहां निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिया गया है जिससे होने वाले धूल के चलते यहां के रहवासी ही नहीं बल्कि यहां से गुजरने वाले लोग भी बहुत परेशान हैं. यहां से लोग जब भी गुजरते हैं अपना चेहरा ढक कर गुजरते हैं. इसके बाद भी सरकार कुंभकरण की नींद सोई हुई है.

बता दें कि, नेशनल हाइवे 43 का निर्माण 307 करोड़ की लागत से आठ साल से चल रहा है. लेकिन सड़क का निर्माण जहां पूरा हुआ है, वहीं कई पुल-पुलियों का निर्माण अधूरा है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण अंबिकापुर शहर से लगे लुचकी घाट में फ्लाई ओवर का काम है, जो अब तक अधूरा है और इसके कारण यहां सड़क का निर्माण भी अधूरा कर छोड़ दिया गया है और इससे होने वाले धूल के कारण आसपास के रहवासी अपना घर छोड़ने मज़बूर हैं.

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टीएस सिंहदेव और अमरजीत भगत इसी सड़क से गुजरते हैं 

गौरतलब है कि अंबिकापुर पत्थलगांव तक 74 किलोमीटर हाइवे का निर्माण 2017 में शुरू हुआ. कई ठेका कंपनी बदले लेकिन काम अधूरा रह गया. 2018 से पहले जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार नहीं आई थी. तब कांग्रेसी सड़क पर तेजी से काम हो, इसके लिए प्रदर्शन करते थे. लेकिन कांग्रेस की सरकार बनी इसके बाद भी काम में तेजी नहीं आई. जबकि, यहां से टीएस सिंहदेव डिप्टी सीएम थे और अमरजीत भगत खाद्य मंत्री. अब भाजपा की सरकार है, सरगुजा की 14 सीट बीजेपी के पास है और सीएम भी सरगुजा संभाग से हैं. अब देखना ये होगा कि प्रशासन अपनी नींद से कब जागता है और यहां की जनता को इस धूल से आखिर कब छुटकारा मिलता है.

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