इस जज्बे को सलाम: 15 साल से उफनती नदी पार कर आदिवासी बच्चों को पढ़ाने जा रहे अशोक चौहान, यहां कोई नहीं करना चाहता नौकरी
शिक्षक के जज्बे को सलाम...
Ambikapur News: अब तक आपने देखा होगा कि किस तरीके से स्कूली बच्चे नदी-नाला पार कर बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर स्कूल तक पहुंचते हैं, लेकिन उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिला स्थित मैनपाट की सुपलगा पंचायत के ढोढ़ीटिकरा स्थित प्राथमिक पाठशाला में पिछले 15 सालों से एक शिक्षक अपनी जान को जोखिम में डालकर उफनती नदी को पार कर हर साल बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल जा रहे हैं. ऐसे हाल में दूसरे शिक्षक यहां अपनी पोस्टिंग तक नहीं कराना चाहते हैं. यही वजह है कि शिक्षक अशोक चौहान पांच क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर हैं. न सिर्फ मजबूर हैं बल्कि बच्चों के पढ़ाने के लिए उनका जज्बा और जोश ऐसा है कि वह बारिश के दिनों में उफनती नदी को पार कर एक किलोमीटर पैदल चलते हुए स्कूल पहुंचते हैं.
इस जज्बे को सलाम है…
छत्तीसगढ़ का ‘शिमला’ यानी मैनपाट में स्थित है सुपलगा गांव. इस गांव के बीचोंबीच से होकर बहती है मछली नदी. इस नदी में पुल नहीं होने की वजह से गांव के लोग बेहद परेशान हैं. गांव के लोग छोटे-छोटे बच्चों को कंधे में या गोद में लेकर किसी तरीके से नदी पार करते हैं, लेकिन शिक्षक अशोक कुमार चौहान हर रोज बरसात के दिनों में उफनती नदी को पार कर स्कूल पहुंचते हैं. कई बार हालात ऐसे होते हैं की नदी में इतनी ज्यादा बाढ़ आ जाती है कि उन्हें स्कूल में ही देर रात तक रुकना पड़ता है और जब बारिश का पानी कम होता है तब वह रात में नदी पार कर वापस अपने घर लौटते हैं.
बच्चे नहीं कर पा रहे पढ़ाई
मछली नदी पर पुल नहीं होने की वजह से गांव के बच्चे मिडिल स्कूल की पढ़ाई के बाद हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूल की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. खासतौर पर गांव की लड़कियां आगे की पढ़ाई से वंचित हो रही हैं.
पुल का हुआ था भूमिपूजन
इस नदी पर पुल बनाने के लिए पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान भूमि पूजन भी किया गया था. वहीं, वर्तमान विधायक ने गांव वालों को भरोसा दिलाया है कि यहां पर पुल का निर्माण किया जाएगा लेकिन अब तक पुल का निर्माण नहीं किया गया है. लोगों कहना है कि पुल निर्माण के लिए टेंडर जारी किया गया था, लेकिन उस पर आगे काम नहीं हुआ और यही वजह है कि उनका गांव आर्थिक और सामाजिक रूप से भी बेहद पीछे है. बच्चे भी आगे की पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ का शिमला अपनी प्राकृतिक सुंदरता के मामले में बेहद खास है, लेकिन यहां के गांव में पुल-पुलिया बनाने की जरूरत है ताकि कम से कम स्कूलों में पढ़ने के लिए जाने वाले शिक्षकों को इतना संघर्ष न करना पड़े. शिक्षक अशोक कुमार चौहान के इस संघर्ष, जज्बे और जुनून को विस्तार न्यूज का सलाम है.