Ambikapur: देश के पहले गार्बेज कैफे की ‘लचर’ हालत, बंद हो की कगार पर पहुंचा कैफे
Ambikapur: अंबिकापुर में स्वच्छता अभियान के तहत आज से पांच साल पहले एक अनोखा प्रयोग किया गया था. जिसके तहत प्लास्टिक के कचरे लाने पर लोगों को मुफ्त में भोजन और नाश्ता दिया जा रहा था इसके लिए गार्बेज कैफे खोला गया था लेकिन अब यह गार्बेज कैफे सिर्फ एक व्यवसायिक होटल के रूप में संचालित हो रहा है. यहां लोग प्लास्टिक के कचरा लेकर नहीं पहुंच रहे हैं, जिसकी वजह से गार्बेज कैफे का प्लान अब पूरी तरीके से फेल होता हुआ दिखाई दे रहा है जबकि यह गार्बेज कैफे जब शुरू हुआ तो पूरे देश भर में इसकी खूब चर्चा हुई थी और नगर निगम के जिम्मेदारों ने अपनी पीठ खूब थपथपाई थी लेकिन अब इस तरफ जिम्मेदारों का तनिक भी ध्यान नहीं है वहीं निजी सेक्टर के द्वारा संचालित किया जा रहा गार्बेज कैफे होटल के रूप में कमाई का जरिया बनकर रह गया है.
देश के पहले गार्बेज कैफे की ‘लचर’ हालत
5 साल पहले अंबिकापुर शहर स्वच्छता के मामले में देश में इंदौर के बाद दूसरे स्थान पर था और तब इस शहर की खूब तारीफ होती थी. देश के अलग-अलग राज्यों से लोग यहां की स्वच्छता के सिस्टम को समझने पहुंचते थे, और उसमें शामिल था अंबिकापुर का गार्बेज कैफे. जहां पर 1 किलो प्लास्टिक का कचरा लाने पर लोगों को लजीज व्यंजन के साथ भोजन दिया जाता था वही आधा किलो प्लास्टिक लाने पर नाश्ता परोसा जाता था. तब यह गार्बेज कैफे खूब सुर्खियां बटोर रहा था इसके लिए नगर निगम अंबिकापुर ने बस स्टैंड में निजी सेक्टर को गार्बेज कैफे संचालित करने के लिए व्यावसायिक परिसर उपलब्ध करा दिया लेकिन अब यह गार्बेज कैफे बंद होता हुआ दिखाई दे रहा है और इसकी जगह पर यहां पर व्यावसायिक तरीके से होटल संचालित किया जा रहा है. अब यहां प्लास्टिक का कचरा लेकर दिन में कभी का भार एक दो लोग ही पहुंचते हैं.
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1 किलो प्लास्टिक कचरे के बदले मिलता था खाना
अंबिकापुर में स्वच्छता के लिए स्वच्छता दीदीयों के द्वारा गीला और सूखा कचरा को अलग-अलग एकत्र किया जाता है, और फिर उसे SLRM सेंटर में लाया जाता है और इसी सेंटर से लोगों को भी गार्बेज कैफे में खाना खाने के लिए प्लास्टिक का कचरा लाने के बाद एक टोकन जारी किया जाता था और इस टोकन को लेकर लोग गार्बेज कैसे पहुंचते थे. जहां उन्हें भोजन और नाश्ता दिया जाता था हालांकि अभी दिखावे के लिए कुछ टोकन जारी किए जाते हैं.
गार्बेज कैफे के संचालन की निगम आयुक्त को जानकारी नहीं
गार्बेज कैफे के संचालक भले ही कह रहे हैं कि यहां सब कुछ ठीक चल रहा है लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि नगर निगम के मुखिया को ही इसकी जानकारी नहीं है कि आखिर गार्बेज कैफे अंबिकापुर में कहां पर चल रहा है और उसकी हालत कैसी है. इसका खुलासा तब हुआ है जब विस्तार न्यूज़ की टीम कैफे के संबंध में बात करने के लिए नगर निगम की आयुक्त के पास पहुंची तो नगर निगम आयुक्त कहने लगे मुझे तो पता ही नहीं है, कि आखिर गार्बेज कैफे कहां पर संचालित हो रहा है. इसके बाद उन्होंने दूसरे कर्मचारियों से इसके बारे में जानकारी प्राप्त की तब वह अपनी बात रख सके.
व्यवसायिक होटल के रूप में हो रहा संचालित
सवाल उठ रहा है कि आखिर ऐसे में अंबिकापुर को स्वच्छ बनाने की दिशा में उठाया गया यह कारगर कदम जब फेल हो गया है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है. अगर यह कैफे फिर सही तरीके से संचालित नहीं हो पा रहा है तो नगर निगम के द्वारा मुफ्त में अपने व्यावसायिक परिसर को निजी सेक्टर को देकर क्यों रखा गया है, कहीं इसमें नगर निगम के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की कोई सेटिंग तो नहीं है, वरना इतने महत्वपूर्ण और चर्चित योजना का हश्र ऐसा तो नहीं होता.