CG Assembly Budget Session: विधानसभा में लंबित राजस्व मामलों को लेकर हंगामा, आंकड़े जानकर चौंक जाएंगे
छत्तीसगढ़ विधानसभा
CG Assembly Budget Session: छत्तीसगढ़ विधानसभा में बजट सत्र की कार्यवाही शुरू हो चकी है. सत्र के तीसरे दिन 27 फरवरी को सदन में लंबित राजस्व प्रकरणों का मुद्दा सदन में जमकर गूंजा. विधानसभा में ध्यानाकर्षण के दौरान लंबित राजस्व प्रकरणों को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्य तीखे सवाल करते नजर आए. इस दौरान लंबित प्रकरणों को लेकर चौंकाने वाली जानकारी भी सामने आई है.
लंबित राजस्व मामलों को लेकर चौंकाने वाली रिपोर्ट
छत्तीसगढ़ के 33 जिलों में 1 लाख 79 से अधिक राजस्व प्रकरण लंबित हैं. सबसे अधिक 11 हजार राजस्व प्रकरण राजधानी रायपुर में ही लंबित है. राजस्व प्रकरणों को लेकर प्रशासनिक अमले की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है.
वहीं, सरगुजा में 9302, रायगढ़ में 7775 और महासमुंद में 5563 राजस्व प्रकरण लंबित हैं. प्रदेश के छोटे-बड़े सभी जिलों में हजारों की संख्या में राजस्व प्रकरण लंबित हैं. लंबे समय से राजस्व प्रकरणों का निराकरण नहीं हो पा रहा है. सदन में अजय चंद्राकर और उमेश पटेल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह मुद्दा उठाया. लंबे समय तक भूमि आवंटन, बंदोबस्त, खाता विभाजन का निराकरण नहीं होने पर चिंता जताई.सीमांकन के मामलों का भी निराकरण नहीं हो पा रहा है.
भुइंया पोर्टल पर सवाल
ध्यानाकर्षण पर चर्चा के दौरान विधायक अजय चंद्राकर ने राजस्व विभाग के भुइंया पोर्टल पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि भुइंया पोर्टल बनाने का उद्देश्य ऐसा लगता है कि किसानों और भूस्वामियों को परेशान करने के लिए बनाया गया है. अजय चंद्राकर ने कहा कि पोर्टल में 35% उत्तर की एंट्री गलत की गई है. लगातार ग्रामीण अंचल के लोगों को SDM और तहसील कार्यालयों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं.
जल्द निराकरण के लिए लगाए जाएंगे शिविर
मंत्री टंकराम वर्मा ने स्वीकार किया कि लंबित राजस्व प्रकरणों की संख्या बढ़ी है. विधानसभा सत्र के बाद राजस्व पखवाड़ा के माध्यम से लंबित प्रकरणों का निराकरण किया जाएगा.राजस्व मंत्री ने लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए शिविरों की आयोजन की भी जानकारी दी.
छत्तीसगढ़ में साल दर साल हजारों की संख्या में राजस्व प्रकरण लंबित होते चले जा रहे हैं. प्रदेश में 1 लाख से अधिक राजस्व प्रकरणों का लंबित होना यह बताता है. ग्राउंड लेवल पर प्रशासनिक अमला प्रकरणों के लिए निराकरण के लिए आवश्यक कार्रवाई नहीं कर रहा है. इसीलिए हर साल लंबित प्रकरणों की संख्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि राजस्व पखवाड़ा और विशेष शिविरों के माध्यम से लंबित प्रकरणों में कितनी कमी आती है.