CG News: छत्तीसगढ़ का करोड़पति बाबू….30 साल में मिला 1 करोड़ का वेतन, लेकिन रिश्वत लेकर बनाई 10 करोड़ की संपत्ति
CG News: सरगुजा संभाग के मनेद्रगढ़ स्थित जनपद पंचायत में 20 सालों से पोस्टेड बाबू को हर महीने वेतन में सरकार से 60 से ₹70 हजार महीने मिलते थे और अब तक की उसकी नौकरी में उसे एक करोड़ का वेतन मिला है लेकिन एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जब रिश्वत लेने के आरोपी बाबू की संपत्ति की जांच की तो चौंकाने वाले खुलासा हुआ. ACB के अधिकारियों की माने तो इस बाबू ने रिश्वतखोरी के माध्यम से अब तक 10 करोड़ से अधिक रुपए की संपत्ति बना ली है और अब एसीबी की टीम रिश्वत लेने के आरोप में जेल में बंद बाबू के खिलाफ जांच का दायरा बढ़ा दिया है और जांच पूरी होने के बाद चार्ज सीट कोर्ट में पेश की जाएगी.
30 साल में मिला 1 करोड़ का वेतन, लेकिन रिश्वत लेकर बनाई 10 करोड़ की संपत्ति
मनेद्रगढ़ के जनपद पंचायत में पदस्थ बाबू सत्येंद्र सिन्हा पिछले 30 सालों से बाबू के पद पर नौकरी कर रहे हैं पिछले दिनों एक सरपंच की शिकायत के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने उन्हें रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था और जेल भेज दिया था लेकिन इसके बाद एंटी करप्शन ब्यूरो को उनके अनुपात हीन संपत्ति के बारे में जानकारी मिली तो ब्यूरो ने इसकी भी जांच शुरू कर दी लेकिन जब ब्यूरो के अधिकारियों ने जांच शुरू की तो उन्हें इस बात का अंदेशा नहीं था कि यह बाबू अपनी आय से 10 गुना अधिक संपत्ति वाला निकलेगा लेकिन जैसे ही जांच का धारा बडढा अधिकारी भी सम्पति देख हदप्रद रह गए.
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जांच में जुटी एसीबी की टीम
एसीबी की टीम को जांच में अब तक 10 करोड़ से अधिक की संपत्ति का पता चला है, रिश्वतखोर बाबू के पास 10 से अधिक मकान मिले हैं.कई जगह बेस कीमती प्लाट भी है. जिसकी जांच की जा रही है, बाबू निर्माण कार्य करने वाली सरपंच सचिवों से तीन से लेकर 10% तक कमीशन लेता था. वहीं सरगुजा संभाग के सभी जनपद पंचायत का भी यही हाल है, एक्सिस बैंक व ग्रामीण बैंक में बाबू व उसके रिश्तेदार के पांच लॉकर मिले हैं. एसीबी की टीम ने बाबू के रिश्तेदारों के लाकर की भी तलाशी ली है.
एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम बाबू और उसके रिश्तेदारों के द्वारा बैंक में खोले गए लाकर की जांच की जा चुकी है जिसमें ACB की टीम को अंदेशा है कि जब रिश्वतखोर बाबू को गिरफ्तार किया गया उसके बाद लाकर से रुपए और कई दस्तावेज निकाल लिए गए इस अंदेशा पर एंटी करप्शन ब्यूरो की टीम ने जांच का दायरा और आगे बढ़ा दिया है.
ग्राम पंचायत में चाहे 15 वित मद का निर्माण कार्य हो या मूलभूत मद, सभी योजनाओं में जनपद पंचायत के बाबू और इंजीनियर पहले से ही अपना रिश्वत का प्रतिशत तय कर रखे रहते हैं और जब तक इन्हें कमीशन नहीं मिलता, तब तक निर्माण कार्य के लिए न तो रुपए जारी किया जाता है और न ही स्वीकृति मिलती है. यही वजह है कि ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव, अधिकारी और कर्मचारियों को रिश्वत देने के लिए मजबूर रहते हैं। लेकिन इस रिश्वत के पैसे से अधिकारियों कर्मचारियों के द्वारा अकूत संपत्ति इकट्ठा किया जाता है। यही वजह है कि सरकार द्वारा हर साल अरबो रुपए ग्रामीण विकास के लिए जारी किए जाने के बाद भी गांवो की तस्वीर नहीं बदल रही है.