CG News: मुख्यमंत्री निवास में आज हरेली तिहार की धूम, किसानों को 1600 ट्रैक्टर दिए जाने का है लक्ष्य
CG News: हरेली त्यौहार में स्वच्छता का भी महत्व है गांवों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है. घरों के आंगनों और खेतों में नीम के पत्तों, आम की पत्तियों और गोबर से अल्पना बनाई जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है.
CG News: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का रायपुर स्थित निवास कार्यालय में धूम-धाम से हरेली तिहार मनाया जा रहा है. निवास परिसर को बड़े ही सुन्दर ढंग से सजाया गया है. यहां मेले-मड़ई जैसा नजारा देखने को मिल रहा है. पारंपरिक लोक यंत्रों के साथ सुंदर नाचा का आयोजन हो रहा है. पूरे परिसर में उत्सव का माहौल है.
मुख्यमंत्री निवास में ग्रामीण परिवेश जीवंत हो उठा है. कहीं सुंदर वस्त्रों में सजे राऊत नाचा कर रहे कलाकारों की रंगत है, तो कहीं आदिवासी कलाकार अपने पारंपरिक लोक नृत्य करते नजर आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ का अद्भुत ग्रामीण लैंडस्केप अपनी सम्पूर्ण सांस्कृतिक सुंदरता में यहां दिखायी दे रहा है. अलग अलग तरह की धुनों में छत्तीसगढ़ी संगीत का माधुर्य अपने चरम पर है.
मुख्यमंत्री निवास में हरेली पर्व के अवसर पर कृषि यंत्रों की प्रदर्शनी भी लगायी गई है. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय इस लोक पर्व के अवसर पर छत्तीसगढ़ के किसानों को उन्नत कृषि यंत्र की सौगात भी देंगे. किसानों को कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत 20 ट्रैक्टर एवं एक हारर्वेस्टर का वितरण भी किया जाएगा. कृषि यंत्रीकरण मिशन के तहत राज्य के 1600 किसानों को ट्रैक्टर दिए जाने का लक्ष्य है. सीमांत, महिला, अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के कृषकों को ट्रैक्टर 50 प्रतिशत अनुदान पर तथा अन्य वर्ग के कृषकों को 40 प्रतिशत अनुदान पर प्रदाय किया जाएगा.
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हरेली तिहार का आरंभ सावन महीने की अमावस्या से होता है. यह त्योहार मानसून के मौसम के आगमन का प्रतीक है, जो खेती के लिए सबसे अनुकूल समय माना जाता है. हरेली का त्यौहार का संबंध कृषि से जुड़ा है इस दिन खेतों में बोनी पूर्ण होने के बाद अच्छी फसल की आस में कृषि यंत्रों की पूजा की जाती है.
हरेली त्यौहार में स्वच्छता का भी महत्व है गांवों में विशेष सफाई और सजावट की जाती है. घरों के आंगनों और खेतों में नीम के पत्तों, आम की पत्तियों और गोबर से अल्पना बनाई जाती है, जो शुभता और समृद्धि का प्रतीक है. छत्तीसगढ़ में हरेली का त्यौहार बड़े उत्साह से मनाया जाता है.
गांव में बच्चे त्योहारों को आनंद गेड़ी चढ़कर लेते हैं. बच्चे से लेकर बूढ़े तक गेड़ी दौड़ में शामिल होते हैं. इस दिन खेती-किसानी में सहयोग देने वाले पशुओं विशेष रूप से गाय, बैल की पूजा की भी पूजा की जाती है। घरों में इस दिन छत्तीसगढ़ी पकवान बनाए जाते हैं.