CG News: शराब का कई पीढ़ियों से दंश झेल रहे मझवार समाज ने लिया बड़ा फैसला, शराब पर लगाया बैन
CG News: छत्तीसगढ़ की पिछड़ी जनजातियों में शुमार मझवार जनजाति के लोगों ने बड़ा फैसला लिया है. समाज के लोगों ने अब तय किया है कि वे सामाजिक आयोजनों में शराब का उपयोग नहीं करेंगे और समाज में शराब का उपयोग करने वाले परिवारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा. उन्होंने अपने इस निर्णय से जिला प्रशासन को अवगत कराते हुए सहयोग की मांग की है. मझवार जनजाति के लोगों ने कलेक्टर के नाम पर आवेदन भी दिया है और कहा है कि शराब की वजह से उनकी जनजाति के लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी पिछड़े हुए हैं इसलिए वे अपने समाज में अब शराब को पूर्णत बंद कर रहे हैं.
समाज के मुखिया नानसाय मझवार ने विस्तार न्यूज़ से चर्चा करते हुए बताया के सरगुजा कोरबा सहित आसपास के जिलों में उनके समाज के लोगों की जनसंख्या करीब 50000 है और समाज के लोग काफी पिछड़े हुए हैं. समाज में जब शादी के लिए रिश्ता तय होता है तब लड़का पक्ष के लोगों को उपहार के स्वरूप लड़की के घर 10 बोतल में भरकर शराब ले जाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. वहीं मृत्यु भोज और दूसरे संस्कारों में भी शराब परोसा जाता है लेकिन संस्कृति में शराब के शामिल होने की वजह से जब लोग शराब नहीं खरीद पाते हैं तो वह जमीन जायदाद तक को गिरवी रख देते हैं और कई लोग इस परंपरा को पूरा करने के चक्कर में बंधुआ मजदूरी तक कर चुके हैं.
मझवार जनजाति के लोगों के पास यही वजह है कि खेती की जमीन अब नहीं के बराबर रह गया है. ऐसे में समाज के लोगों ने बैठकर इस पर विचार किया और उसमें तय किया गया कि शराब के कारण ही मझवार जनजाति के लोग आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हुए हैं, इसलिए समाज में शराब के उपयोग पर बैन लगाया जाए और इसे समाज के लोगों ने स्वीकार किया है. अब इसकी जानकारी लोगों ने सरगुजा कलेक्टर को दी है.
उनका कहना है कि उनके इस निर्णय से जनजाति परिवारों की आर्थिक और सामाजिक हालत सुधरेगी क्योंकि कई लोग परंपरा में शराब के शामिल होने के कारण शराब के आदी हो गए हैं और यही वजह है कि उनके बच्चे ठीक से पढ़ाई लिखाई तक नहीं कर पा रहे हैं.
कलेक्टर से मुलाकात करने पहुंची बसंती नामक महिला ने बताया कि समाज में शराब का उपयोग होने की वजह से कम उम्र में समाज के किशोर और युवक भी इसके लत में आ जा रहे हैं और शराब पीकर अपराधिक घटनाओं को भी अंजाम दे देते हैं. वहीं परिवार की महिलाएं इससे काफी परेशान हैं, समाज में अब तय किया गया है कि किसी भी परिवार में किसी सामाजिक योजना के दौरान अगर शराब का उपयोग किया जाता है तो उस परिवार का सामाजिक तौर पर बहिष्कार किया जायेगा.
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बता दें कि अविभाजित मध्य प्रदेश के समय से आदिवासी समाज के लोगों को 5 लीटर महुआ शराब बनाने की छूट दी गई है. तब कहा गया कि आदिवासी समाज को शराब बनाने की छूट देना इसलिए जरूरी है क्योंकि शराब उनकी संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है लेकिन अब मझवार जनजाति के लोगों के निर्णय के बाद सरकार को ऐसे फैसलों पर विचार करने की जरूरत है क्योंकि संस्कृति और परंपरा की आड़ में आदिवासी समाज पर शराब का नकारात्मक असर पड़ रहा है.