जंगल की 500 एकड़ जमीन पर कब्जा, फॉरेस्टर ने पट्टा दिलाने के नाम पर की 90 हजार रुपये की उगाही, SP-कलेक्टर तक पहुंचा मामला
शिकायत करने पहुंचे ग्रामीण
CG News: सरगुजा जिले में जंगल लगातार सिमटने जा रहे हैं वहीं दूसरी तरफ जंगल विभाग के अधिकारियों पर जंगल की जमीन पर कब्जा दिलाने के एवज में अवैध उगाही करने का आरोप लग रहा है. लुड्रा क्षेत्र के ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि फॉरेस्टर के द्वारा उनके पूर्वजों की काबिज भूमि का दस्तावेज देने के नाम पर 90 हजार रुपये की उगाही की गई है और गांव के दूसरे लोगों से भी रुपए की वसूली की जा रही है.
जंगल की जमीन पर कब्जा, पट्टा दिलाने के नाम पर हो रही उगाही
सरगुजा के लुड्रा क्षेत्र के रवई गांव के ग्रामीणों में आरोप लगाया है कि क्षेत्र के फॉरेस्टर के द्वारा जंगल विभाग की जमीन पर कब्जा के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने के बदले में उनसे अलग-अलग किस्तों में कुल 90 हजार रुपए की उगाई की गई है और रुपए देने के बाद भी उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. उनके कब्जे की जमीन पर वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है जबकि वे वन विभाग की जमीन पर कई दशक से काबिज हैं वहीं गांव के दूसरे लोग भी वन विभाग की जमीन पर काबिज हैं और करीब 500 एकड़ से अधिक वन विभाग की जमीन पर सैकड़ो की संख्या में गांव के लोग कब्जा कर खेती कर रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि वन विभाग के अधिकारियों का संरक्षण है.
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ग्रामीणों ने फॉरेस्टर पर लगाए आरोप
वन विभाग के अधिकारी गांव वालों से पैसे लेते हैं और जंगल की जमीन पर कब्जा करने का मौका देते हैं लेकिन जब कोई बड़ा प्रोजेक्ट आता है तो फिर जमीन से गांव वालों को बेदखल करने की कोशिश करते हैं और यही वजह है कि गांव के लोग आज इसकी शिकायत लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे थे उन्होंने इसकी शिकायत पुलिस अधीक्षक राजेश अग्रवाल से भी की है और कार्यवाही की मांग की है. गांव वालों का तो यहां तक कहना है कि फारेस्टर शिव शंकर तिवारी खुद वन विभाग की जमीन पर दूसरे लोगो के माध्यम से टमाटर की बड़े स्तर पर खेती करा रहें हैं.
फॉरेस्टर ने आरोपों को बताया झूठा
इस पूरे मामले में वन विभाग के फॉरेस्टर शिव शंकर तिवारी का कहना है कि ग्रामीणों के द्वारा लगाया जा रहा आरोप निराधार है उनके द्वारा किसी से कोई पैसा नहीं लिया गया है. अब जब वन विभाग कब्जे की जमीन को कब्ज से मुक्त करना चाह रहा है तो गांव वाले झूठा आरोप लगा रहे हैं लेकिन गांव के प्रदीप कुमार यादव, चंद्र शेखर यादव, उदय यादव और जगरदेव यादव कह रहे हैं कि अगर उनका आरोप झूठा है तो प्रशासन को इसकी जांच करानी चाहिए. उन्होंने बताया कि उन्होंने SP राजेश अग्रवाल से मामले की शिकायत की है और पुलिस अधीक्षक ने जांच के निर्देश दिए हैं. अब देखने वाली बात है कि आखिर इस पूरे मामले में वन विभाग के अधिकारी और प्रशासन किस तरीके का कार्रवाई करता है.