CG News: प्रदेश में नक्सलवाद पर सियासत, CM ने की जवानों की सराहना, भूपेश बघेल बोले- मेहनत हमने की, पीठ ये थपथपा रहे
CG News: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सल उन्मूलन की डेडलाइन तय कर रखी है. जिसके के बाद से एंटी नक्सल ऑपरेशन तेजी से आगे बढ़ रहा है. सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र में DRG और CRPF के जवानों ने 10 माओवादियों को ढेर कर दिया. मुठभेड़ के बाद से सूबे की सियासत तेज हो गई है.
मुठभेड़ में 10 नक्सली ढेर, सीएम ने की सराहना
छत्तीसगढ़ में सत्ता के परिवर्तन के साथ ही एंटी नक्सल ऑपरेशन में तेजी आ गई है. सत्ता परिवर्तन के बाद पिछले 11 माह में 213 नक्सलियों को मार गिराया गया है. तो वहीं सरेंडर करने वालों की संख्या 500 के पार हो गई है. मुठभेड़ में 10 माओवादियों के ढेर होने की सूचना के बाद मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर ट्वीट कर दिया. जवानों के अदम्य साहस को मुख्यमंत्री साय ने सराहा. वहीं नक्सलवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की बात लिखी.
11 महीने में 213 नक्सली हुए ढेर
विष्णु देव साय की 11 माह की सरकार और विजय प्रहार से 213 नक्सलियों का अब तक ख़ात्मा हो चुका है. डबल इंजन की सरकार बनने से पहले ही जिम्मेदारों ने 31 मार्च 2026 को नक्सलियों के खात्मे की बात कही थी और यह अब साफ नजर भी आ रहा है. मुठभेड़ के बाद उपमुख्यमंत्री अरुण साव का कहना है कि यह सरकार की प्रतिबद्धता है कि बस्तर को नक्सलमुक्त करना है. बस्तर में शांति स्थापित करना है. इसलिए सरकार इस दिशा में काम कर रही है.
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भूपेश बघेल बोले- सारी मेहनत हमने की, पीठ ये आज थपथपा रहे
छत्तीसगढ़ में धान, किसान के अलावा नक्सलवाद का मसला भी एक बड़ा सियासी मुद्दा रहा है. नक्सलवाद पर हो रही सियासत आज भी जारी है. सुकमा में हुई मुठभेड़ के बाद नेताओं का फिर से आमना सामना देखने मिल रहा है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इसपर कहा कि हमारी सरकार में जितने कैंप खुले उतने कैंप 15 साल में नहीं खुले. रमन सरकार में आदिवासियों ने गांव खालीकर दूसरे राज्यों में प्रवास किया. कांग्रेस सरकार ने नक्सलियों से भरे 600 गांव खाली किए. स्कूल, रोड, पढ़ाई, हॉस्पिटल के अवसर हमने दिए. इसलिए आदिवासियों के विश्वास सरकार पर लौटा. सारी मेहनत हमने की. पीठ ये आज थपथपा रहे हैं.
एक तरफ भयाक्रांत बस्तर अपनी छवि सुधारने में जुटी है, तो वही सरकार नक्सलियों के सम्पूर्ण खात्मे के ओर तेजी से बढ़ रहे है. इन सब के बीच सियासत भी लाजमी है, क्योंकि नक्सली के नाम पर सालों से रोटी जो सिखाती आइ है. बहरहाल नक्सलियों से लड़ाई का परिणाम तो तय है और सियासी लड़ाई का परिणाम अभी भी भविष्य की गर्त में है.