CG News: ये हैं छत्तीसगढ़ के स्नेक मैन,जहरीले सांपों को सांस देकर बचाते हैं जान, अब तक 7 हजार बेजुबान को दिया जीवनदान

ये स्नेक मैन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का रहने वाले हैं. सत्यम द्विवेदी कंप्यूटर में डिग्री की पढ़ाई के बाद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे.
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स्नेक मेन सत्यम द्विवेदी

CG News: जान बचाने के लिए एक इंसान दूसरे इंसान को सांस दे सकता है. लेकिन आपने कभी सोचा है कि कोई इंसान एक जहरीले सांप को सीपीआर दे सकता है. देता भी होगा तो कैसे ये सवाल आपके भी मन में उठ रहा होगा. चलिए आपको एक ऐसे स्नेक मैन की कहानी बताते है. जिसने 7 हजार सांप पकड़े हैं और कई घायल सांपों की जान बचाई है.

सांपों को सांस देने वाले स्नेक मैन की कहानी

ये स्नेक मैन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर का रहने वाले हैं. सत्यम द्विवेदी कंप्यूटर में डिग्री की पढ़ाई के बाद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे थे. लेकिन एक दिन उन्होंने एक घायल सांप को देखा और उसे बचाने की कोशिश की. इसके बाद से सत्यम के दिल में ख्याल आया कि सांपो की जिंदगी बचाने के लिए काम करना चाहिए और उन्होंने धीरे- धीरे सांपो को पकडकर जंगल में छोड़ने का काम शुरु किया. इसके बाद जब भी किसी के घर में या आसपास सांप दिखता तो लोग फोन कर बुलाने लगते. कई बार लोग रात में बुला लेते थे. लेकिन सांप को फिर रात में जंगल ले जाकर छोड़ने में परेशानी होती थी. तो सांप को डब्बे में बंदकर रखते थे और सुबह उसे ले जाकर छोड़ते थे. पर अब तो वे हर रोज लोगों की सूचना पर 8-10 सांप पकड़ते हैं और उन्हें नहीं मारने की अपील करते हैं क्योंकि हर सांप जहरीले नहीं होते.

सांपों को जीवन देने के लिए महामाया केंद्र की स्थापना

सांपों का रेस्क्यू करना आसान नहीं है, सत्यम को अब तक 30 बार अलग – अलग सांप डंस चुके हैं. इससे सत्यम अपने मिशन से पीछे नहीं हटे और अब तो सत्यम ने सांप के अलावा अन्य जीवों की जिंदगी बचाने का काम शुरू कर दिया है. इसके लिए उन्होंने महामाया पुनर्वास केंद्र की स्थापना की है. बता दें कि सरगुजा संभाग में सबसे अधिक करैत और कोबरा सांप पाया जाता है. दोनों ही जहरीले सांप है इसे हर साल दर्जनों लोगों की मौत होती है. जशपुर के तपकरा को छत्तीसगढ़ का नागलोक माना जाता है.

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छत्तीसगढ़ के कई जिलों में चल रहा है इस तरह का काम

छत्तीसगढ़ के न सिर्फ सरगुजा संभाग में बल्कि बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा के साथ कई जिलों से सांपों के जीवन को बचाने के लिए काम कर रहे है. अच्छी बात यह है कि इनके लिए एक सपेरा जनजाति लगी हुई है जो इन जहरीले सांपों के साथ जिंदगी जीती है. इसके अलावा कुछ जिलों में निजी तौर पर रुचि रखने वाले लोग भी सांपों की जिंदगी बचाने का काम कर रहें हैं.

 

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