इस मानसून जरूर करें छत्तीसगढ़ के इन 8 वाटफॉल्स का दीदार, बारिश में ‘स्वर्ग’ से कम नहीं हैं यहां के नजारे

CG News: इस मानसून आपको भी छत्तीसगढ़ के इन 8 वाटरफॉल्स का दीदार जरूर करना चाहिए. बारिश के दिनों में यहां की प्राकृतिक सुंदरता 'स्वर्ग' से कम नहीं होती है.
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चित्रकोट जलप्रपात

CG News: मानसून में वाटरफॉल घूमने जाने का अलग ही मजा है. अगर आप भी छत्तीसगढ़ के रहने वाले हैं तो कुदरत की खूबसूरती देखने के लिए प्रदेश के 8 वाटरफॉल जरूर पहुंचना चाहिए. कम बजट में आपकी ट्रिप इतनी यादगार बन जाएगी कि आपको बार-बार वहां जाने का मन करेगा. जानिए उन 8 वाटरफॉल्स के बारे में-

चित्रकोट जलप्रपात: भारत का नियाग्रा

जगदलपुर जिला स्थित चित्रकोट जलप्रपात, अपनी घोड़े की नाल जैसी आकृति के कारण ‘भारत का नियाग्रा’ कहलाता है. यह भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात है, जो इंद्रावती नदी से पोषित होता है. 29 मीटर (95 फीट) ऊंचा यह जलप्रपात मानसून (जुलाई-अक्टूबर) में अपनी पूरी शान दिखाता है, जब धुंध पर सूरज की किरणें इंद्रधनुष बनाती हैं. नाव की सवारी से इसकी भव्यता का पूरा आनंद लिया जा सकता है.

तीरथगढ़ जलप्रपात: प्रकृति और आस्था का संगम

जगदलपुर से 35 KM दूर मुगाबहार नदी पर बसा तीरथगढ़ जलप्रपात 300 फीट की ऊंचाई से गिरता है. ब्लॉक प्रकार का यह झरना हरे-भरे जंगलों से घिरा है, जो इसकी सुंदरता को दोगुना करता है. शिव-पार्वती मंदिर के कारण यह पर्यटकों और तीर्थयात्रियों दोनों के लिए खास है.

राजपुरी जलप्रपात: आदिवासी संस्कृति का आलम

जशपुर जिला मुख्यालय से 60 KM दूर राजपुरी जलप्रपात एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है. यहां मछली पकड़ने का आनंद लिया जा सकता है. आसपास के आदिवासी गांव अपनी अनूठी परंपराओं के साथ इस स्थान को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाते हैं.

अमृत धारा जलप्रपात: शांति का स्वर्ग

कोरिया जिला स्थित हसदेव नदी से निकलने वाला अमृत धारा जलप्रपात 90 फीट ऊंचा है. ऊंचाई से गिरता पानी धुंध भरा माहौल बनाता है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है. घने जंगलों से घिरा यह झरना साल भर देखा जा सकता है, विशेषकर मानसून में.

चित्रधारा जलप्रपात: प्रकृति का संगीतमय उपहार

जगदलपुर से 19 KM दूर पोटानार गांव में बसा चित्रधारा जलप्रपात इंद्रावती नदी से निकलता है. इसकी कल-कल ध्वनि और सफेद झागदार पानी हरियाली के बीच मनमोहक दृश्य रचते हैं. जुलाई से अक्टूबर तक यह पर्यटकों के लिए खास आकर्षण होता है.

चार्रे-मार्रे जलप्रपात: कांकेर का रत्न

कांकेर जिला मुख्यालय से 45 KM दूर जोगी नदी पर स्थित चार्रे-मार्रे जलप्रपात 16 मीटर ऊंचा टेढ़ा-मेढ़ा झरना है. इसे कांकेर जिले का मुकुट कहा जाता है. अक्टूबर से दिसंबर के बीच यह पर्यटकों को अपनी प्राकृतिक सुंदरता से लुभाता है.

घटारानी जलप्रपात: जंगल का जादू

घटारानी जलप्रपात घने जंगलों के बीच बसा है, जो रायपुर से 75 किमी और जतमई गांव से 25 किमी दूर है. जंगल की पैदल यात्रा के बाद इसकी सुंदरता का दीदार होता है. एक छोटा पुल और प्राचीन जतमई मंदिर इसे और खास बनाते हैं. मानसून में तेज बहाव के कारण यहाँ सावधानी बरतनी चाहिए.

मलंजकुडुम जलप्रपात: त्रिकोणीय सुंदरत

कांकेर से 15 किमी दूर दूध नदी पर बने मलंजकुडुम जलप्रपात में तीन झरने (10 मीटर, 15 मीटर, 9 मीटर) मिलकर एक शानदार दृश्य बनाते हैं. यह पिकनिक और पर्यटन के लिए प्रसिद्ध है. अक्टूबर से मार्च के बीच यहां का नजारा देखने लायक होता है.

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