CGPSC Scam: CBI की 500 पन्ने की चार्जशीट पेश, तीनों चरणों में धांधली की खुली कुंडली
फाइल इमेज
CGPSC Scam: छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग परीक्षा 2021 में फर्जीवाड़ा (CGPSC Scam) मामले में CBI ने करीब 500 पन्नों की चार्जशीट पेश की है. ये चार्जशीट अब तक गिरफ्तार सभी 7 आरोपियों समेत अन्य के खिलाफ है. इस चार्जशीट में परीक्षा के तीनों चरणों में कैसे छोटे से छोटे स्तर पर धांधली की गई उसका खुलासा हुआ है.
CGPSC परीक्षा के तीनों चरणों में धांधली
CGPSC सिविल सेवा परीक्षा के तीनों चरणों में धांधली की एक-एक चीज सुनियोजित थी. इसकी शुरुआत प्री परीक्षा से हो गई थी.
कैसे हुई धांधली
- 2 जून 2020 को टामन सिंह सोनवानी, जो तत्कालीन CGPSC के चेयरमैन के तौर पर जॉइनिंग लेते हैं.
- जुलाई 2020 में टामन सोनवानी और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक दोनों अरुण कुमार द्विवेदी नाम के व्यक्ति के साथ मीटिंग करते हैं. अरुण कुमार द्विवेदी M/S AKD Pvt ltd कोलकाता की कंपनी का आदमी है और उसे पेपर छापने की जिम्मेदारी देते हैं.
- इसके बाद दिसंबर 2020 ललित गणवीर को बतौर डिप्टी एग्जाम कंटोलर के तौर पर नियुक्ति दी जाती है और परीक्षा संचालन से लेकर रिजल्ट तक की शक्तियां उसे सौंपी जाती हैं.
- इसके बाद टामन सोनवानी तत्कालीन PSC सचिव जीवन किशोर ध्रुव के जरिए Family शब्द से Relative शब्द में PSC के नियमों में बदलाव करते हैं ताकि आगे वो आसानी से नितेश सोनवानी के इंटरव्यू में बैठ सकें.
- ये सब कुछ होता है फिर बारी आती है नोटिफिकेशन की. नवंबर 2021 में परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है. टामन 1 साल से अधिक समय में पूरी फील्डिंग जमा चुके थे.
परीक्षा का नोटिफिकेशन आता है. आरती वासनिक अपने काम में लग जाती हैं. कोलकाता के अरुण कुमार द्विवेदी नाम के व्यक्ति को फोन लगाकर पेपर बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है क्योंकि अरुण की कंपनी M/S AKD Pvt ltd कोलकाता में ही प्रिंट होने थे. - अरुण प्रश्नों के सैंपल भेजते हैं, जिन्हें सील बंद लिफाफे में महेश दास नाम का आदमी लेकर आता है. अरुण के द्वारा भेजे गए कई प्रश्नों में कुछ प्रश्नों को सिलेक्ट करके सीलबंद लिफाफे में आरती वासनिक द्वारा वापस भेजा जाना था.
- आरती वासनिक अरुण के द्वारा भेजे गए आदमी यानी महेश दास को वापस भेज देती है. इसके कुछ दिन बाद वापस अरुण को फोन करके उनके द्वारा भेजे गए आदमी को बुलाया जाता है. वो आदमी नया रायपुर के सेक्टर 17 में सील बंद लिफाफे में चुने गए सवालों के पेपर लेने पहुंचा, लेकिन वो वहां देखता है कि टामन सिंह सोनवानी वहां मौजूद थे, जिन्हें नहीं होना चाहिए क्योंकि CGPSC के परीक्षा नियंत्रक के अधिकार क्षेत्र में वे पेपर बनाने की प्रक्रिया का अधिकार शामिल नहीं है.
- यहीं पता चलता है कि पेपरों की नकल बना ली गई है और टामन को पता है कि आखिर क्या प्रश्न पूछे जाने हैं. इसके बाद टामन सिंह सोनवानी और भ्रष्टाचार में उनसे जुड़े लोगों तक प्रश्न पत्र पहुंचा देते हैं और इस तरीके से CGPSC घोटाला होता है.
इंटरव्यू में क्या हुआ?
जैसा प्री परीक्षा के लिए सब सुनियोजित हुआ. ठीक वैसा ही कुछ मुख्य परीक्षा के प्रश्न पत्रों में हुआ . वहीं, इंटरव्यू के समय भी टामन सिंह सोनवानी पैनलों में हेर फेर करते हैं और करीबियों का CGPSC में चयन कराते हैं.
क्या है श्रवण कुमार गोयल का टामन सिंह सोनवानी से कनेक्शन?
बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल का टामन सिंह सोनवानी से कनेक्शन समझिए. श्रवण कुमार गोयल अपने बेटे और बहू के सेलेक्शन के लिए टामन सिंह सोनवानी को पैसे देते हैं. ये पैसे कैश में नहीं बल्कि GVS ग्रामीण विकास समिति नाम की समिति को दिए जाते हैं, जिसकी अध्यक्ष टामन की पत्नी पद्मिनी सिंह सोनवानी हैं. ये पैसे सीएसआरके जरिए अधोसंरचना विकास के लिए दिए जाते हैं. 50 लाख से अधिक इन पैसों का निजी उपयोग होता है, जो की समिति के सरकारी नियमों के खिलाफ है.
श्रावण गोयल अपनी कंपनी के नियमों को बाईपास करते हैं, तो वहीं रमन सिंह सोनवानी समिति के सरकारी नियमों को बाइपास करते हैं और यहाँ पर भ्रष्टाचार के बदले पेपर का लेन-देन होता है.
7 आरोपी गिरफ्तार
CGPSC घोटाला मामले में अब तक 7 आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं. इनमें PSC के तत्कालीन चेयरमैन कथित मास्टरमाइंड टामन सिंह सोनवानी, बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल,
गिरफ्तार टामन सिंह सोनवानी के दोनों भतीजों नितेश सोनवानी और साहिल सोनवानी और श्रवण कुमार गोयल के बेटे शशांक गोयल और बहू भूमिका कटियार और तत्कालीन डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर ललित गणवीर शामिल हैं. 30 तारिख को उनके ऊपर लगाए गए आरोपों पर कोर्ट में बहस होगी.