Chhattisgarh: बिलासपुर में डायरिया से हुई 5 मौतें, 765 सक्रिय मरीज, फिर भी गंदा पानी पीने को मजबूर लोग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का पानी बैक्टीरिया वाला है. यही कारण है कि लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि पीएचई विभाग की उसे जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है जिसे राज्य सरकार को भेजा गया है.
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गंदा पानी पीने को मजबूर लोग

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले का पानी बैक्टीरिया वाला है. यही कारण है कि लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं. ऐसा हम नहीं बल्कि पीएचई विभाग की उसे जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है जिसे राज्य सरकार को भेजा गया है. बिलासपुर जिले में डायरिया के 765 मरीज सक्रिय है. इसके अलावा 912 मरीजों की रिकवरी हुई है. साथ ही पांच मरीजों की मौत भी हो चुकी है कुल मिलाकर यह जानना जरूरी है कि कैसे लोग दूषित पानी से बचे जिससे उन्हें डायरिया नहीं हो. विस्तार न्यूज़ की टीम यही जानने उसे लैब में पहुंची है जहां से पानी को लेकर पूरे जिले की रिपोर्ट भेजी जा रही है. इस लैब को हर साल 3 000 पानी का सैंपल उठाना है और उसकी जांच कर राज्य शासन को भेजनी है जिससे यह पता लगाया जा सके कि कहां के पानी में क्या समस्या है.

बड़ी बात यह है कि बिल्हा मस्तूरी रतनपुर जैसे जिन क्षेत्रों में सबसे ज्यादा डायरिया के मरीज मिले हैं, वहां के पानी में बैक्टीरिया पाया गया है. इसी बैक्टीरिया के कारण लोग डायरिया के शिकार हो रहे हैं और मौत के मुहाने तक पहुंच रहे हैं. जिला प्रशासन से लेकर राज्य सरकार तक इस मामले में गंभीर है और यह मामला पूरे छत्तीसगढ़ से जुड़ा है. यही वजह है कि हमने इस लैब में जाकर उन तकनीशियन और केमिस्ट से सवाल किए हैं जो पानी की जांच रिपोर्ट सरकार को हर हफ्ते भेज रहे हैं.

इसलिए फैल रहा डायरिया

पीएचई लैब से पानी की जांच कर रहे तकनीशियन और केमिस्ट का कहना है की बारिश के दिनों में पानी में बैक्टीरिया होना सामान्य बात है इसी बैक्टीरिया के कारण डायरिया होता है. इसके अलावा नालियों का पानी उसे पेयजल के स्रोत तक पहुंच जाता है जिसे लोग पीने के तौर पर इस्तेमाल करते हैं और यही कारण है कि डायरिया है या और तमाम संक्रामक बीमारियां फैलती है. कुल मिलाकर लोगों को ऐसे पानी से बचना चाहिए और इसे छान कर या उबालकर पीने से ही डायरिया से बचा जा सकता है.

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बिल्हा मस्तूरी का पानी सबसे बेकार

लैब के अधिकारियों का कहना है कि बिल्हा और मस्तूरी क्षेत्र का पानी बेकार है जिनमें ई कोलाई यानी शरीर के लिए खतरा जैसा कारक मौजूद होता है जिसके चलते ही तमाम तरह की बीमारियां मनुष्य के होने लगते हैं. इससे बचाव का एकमात्र कारण है कि वह बारिश के दिनों में सतर्क रहें और ईकोलाई से पेट दर्द के अलावा और भी कई तरह की बीमारियां हो सकती है, जिसे ध्यान देकर मनुष्य से बच सकता है. बिलासपुर में डायरिया के मरीज मिल रहे हैं और लगातार प्रशासन इस पर वर्क कर रहा है, लेकिन लोगों को भी जागरूक रहने की जरूरत है.

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