Chhattisgarh News: बिलासपुर में अनोखा मामला आया सामने, 13 साल की लड़की ने जमीन में ली समाधि फिर 20 घंटे बाद आई बाहर
Chhattisgarh News: बिलासपुर में एक युवती के भूमिगत समाधि लेने और 12 घंटे बाद सकुशल बाहर आने का अनोखा मामला सामने आया है. युवती महज 13 साल की है. जिसने भूमिगत समाधि ली थी.
जानिए क्या है पूरा मामला
दरअसल, मामला मस्तूरी क्षेत्र के किरारी गांव का है, जहां 13 साल की सत्यवती मुस्कान घृतलहरे अपने परिवार के साथ रहती है. बताया जा रहा है कि सत्यवती बचपन से बीमार रहती थी. जिसे लेकर वह बाबा गुरु घासीदास से मन्नत मांग रही थी कि उसका स्वास्थ्य ठीक हो जाए. इसी दौरान उसे किरारी जैत स्तंभ के पास समाधि लेने का स्वप्न आया. जिसके बाद सत्यवती 4 फीट गहरे गड्ढे में भूमिगत समाधि पर चली गई. 12 घंटे के जप समाधि के बाद सत्यवती सकुशल बाहर आ गई है. सत्यवती के इस समाधि को लेकर समाज के लोग आस्था से जोड़कर देख रहे हैं. सत्यवती के समाधि से बाहर आने पर बड़ी संख्या में समाज के लोग जुटे रहे. सत्यवती के परिजन बताते हैं कि, उसे बाबा का संदेश और आशीर्वाद मिला है, जिसके बाद उसने समाधि पर जाने का निर्णय लिया था. 12 घंटे के भूमिगत समाधि के बाद अब वो सकुशल बाहर आ गई है.
पिता बोले मुझे भी सपना आया लेकिन बेटी ने पहले कह दिया
सरस्वती के पिता जमुना प्रसाद बताते हैं कि जो सपना बेटी को आया था वही सपना उसी दिन उन्हें भी आया था, लेकिन उन्होंने अपनी बात किसी को नहीं बताई और बेटी ने पहले कह दिया. इसके बाद ही पूरे गांव के सामने अपनी बेटी की जवाबदारी लेकर उन्होंने समाधि लेने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया और उनके हिसाब से सुबह 5:00 से शाम 5:00 बजे तक यह दौर चला और बेटी बिल्कुल सुरक्षित निकली.
समाधि के लिए एसडीएम से नहीं मिला परमिशन
जमुना प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने बेटी की समाधि के लिए एसडीएम से परमिशन की मांग की थी लेकिन उन्होंने यह देने से मना कर दिया. इसके बाद ही उन्होंने पूरे गांव के सामने एक स्टांप पर लिखकर यह दिया कि उनकी बेटी को कुछ भी होता है तो यह सारी जिम्मेदारी उनकी होगी, और वह समाधि का समर्थन करना चाह रहे हैं. इसके बाद ही सरस्वती की समाधि की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया.
पहली बार आया इस तरह का मामला
किसी गांव में समाधि जैसी प्रक्रिया लेने का यह अपने तरह का पहला मामला है, इससे पहले दशकों से ऐसा कुछ नहीं हुआ है. पिता ने बताया कि उनके परिवार में बाबा गुरु घासीदास के प्रति आस्था है, जिन्होंने उनके परिवार की समस्या को दूर करने के लिए ही उन्हें स्वप्न देकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की बात कही थी.