Chhattisgarh: अंबिकापुर DEO की जांच कमेटी ने मनमानी करने वाले स्कूलों को दी क्लीन चिट, पालक बोले- जांच में पारदर्शिता नहीं
Chhattisgarh News: सरगुजा जिले के निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच कमेटी बनाई थी और भरोसा दिलाया था कि मनमानी करने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी, लेकिन जांच कमेटी ने जो रिपोर्ट पेश की है. उसके मुताबिक निजी स्कूल कोई मनमानी नहीं कर रहे हैं. इस पर अभिभावक संघ ने कहा है, कि जो जांच रिपोर्ट पेश की गई है वह एक तरफा है और उसमें अभिभावकों से बातचीत नहीं किया गया है. कुछ चुनिंदा अभिभावक से बात कर जांच रिपोर्ट तैयार किया गया है.
किताब दुकानों की मनमानी को लेकर अभिभावकों ने लगाई गुहार
सरगुजा जिले के कुछ निजी स्कूलों के द्वारा अविभावको को कुछ सिलेक्टेड स्टेशनरी दुकानों से किताब कॉपी और ड्रेस खरीदने का निर्देश मौखिक तौर पर दिया जाता है. वहीं ये स्टेशनरी के सामान दूसरे दुकानों में उपलब्ध भी नहीं होते हैं इसके कारण अभिभावकों को चुनिंदा किताब दुकानों से ही किताब और दूसरे स्टेशनरी का सामान महंगे रेट पर खरीदना पड़ रहा है. इस पर अभिभावक संघ के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया था और जिला शिक्षा अधिकारी से गुहार लगाई थी कि इस पर रोक लगाई जाए साथ ही स्कूलों के किताब और ड्रेस सभी दुकानों में उपलब्ध हो, यह प्रशासन तय करे ताकि चुनिंदा किताब दुकानों की मनमानी रोक लगे.
जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच का दिया भरोसा
इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने भरोसा दिलाया था कि पूरे मामले की जांच के लिए एक कमेटी बनाई जाएगी जो जांच रिपोर्ट पेश करेगी, तब कार्यवाही की जाएगी लेकिन अब डीईओ का कहना है कि जांच कमेटी ने पूरे मामले की जांच की लेकिन आरोप गलत पाए गए, किसी भी स्कूल प्रबंधन के द्वारा विभागों पर कोई दबाव नहीं बनाया जाता है। अभिभावक किताब कॉपी और ड्रेस किसी भी दुकान से खरीद सकते हैं। ऐसे में अभिभावक संघ के पदाधिकारियों ने इस जांच रिपोर्ट पर सवाल खड़ा किया है और कहा है कि जांच रिपोर्ट तैयार करने से पहले अभिभावकों से बात नहीं की गई है अगर बात की गई होती तो कई तथ्य सामने आए होते लेकिन जानबूझकर निजी स्कूलों को मनमानी करने के लिए जांच रिपोर्ट में छूट दी गई है.
जांच में पारदर्शिता नहीं इसलिए सामने नहीं आई गड़बड़ी
अभिभावक संघ के पदाधिकारी धनंजय मिश्रा ने कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा जो जांच टीम बनाई गई थी उसने अभिभावकों से बात नहीं की , कुछ चुनिंदा अभिभावकों से बात किया गया और उन्होंने स्कूल वालों के पक्ष में ही जांच रिपोर्ट तैयार किया, इसकी वजह से गड़बड़ी सामने नहीं आई है जबकि सभी अभिभावक पीड़ित है और जो किताबें ₹100 में उपलब्ध हो जाती है. उन किताबों को निजी प्रकाशको के माध्यम से छपवाकर कई गुना अधिक दर पर खरीदने के लिए स्कूल संचालकों के द्वारा मजबूर किया जा रहा है.
जिला शिक्षा अधिकारी अशोक सिन्हा ने बताया कि अभिभावकों की शिकायत पर स्कूलों की मनमानी को लेकर जांच कराई गई लेकिन सारे आरोप गलत पाए गए, स्कूलों के द्वारा अभिभावको पर किसी तय दुकान से ही किताब, ड्रेस व अन्य सामान खरीदने के लिए दबाव नहीं बनाए जाते हैं. इसकी वजह से स्कूल संचालकों के खिलाफ कोई कार्यवाही का आधार नहीं बन रहा है.