Chhattisgarh: मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में तेंदुपत्ता तोड़ने गए परिवार पर भालुओं ने किया हमला, पिता ने जान जोखिम में डालकर बचाई बेटी की जान

Chhattisgarh News: कोटाडोल में जंगल में परिवार सहित तेंदूपत्ता तोड़ने गये ग्रामीण पर मादा भालू और उसके दो शावकों ने हमला कर दिया. भालुओं के हमले से ग्रामीण संतलाल का दायां हाथ टूट गया है, वहीं चेहरे को भी भालुओं द्वारा नोच दिया गया है. गंभीर रूप से घायल होने के बाद उसे बेहतर उपचार के लिये अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.
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भालू

Chhattisgarh News: आपने अब तक सुना होगा कि पिता के लिए बेटियां परी के सामान होती है. बेटियों की जान के लिए पिता किसी से भी लड़ सकता है. ऐसा ही एक मामला मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले के कोटाडोल में देखने को मिला. जहां जंगल में परिवार सहित तेंदूपत्ता तोड़ने गये ग्रामीण पर मादा भालू और उसके दो शावकों ने हमला कर दिया. भालुओं के हमले से ग्रामीण संतलाल का दायां हाथ टूट गया है, वहीं चेहरे को भी भालुओं द्वारा नोच दिया गया है. गंभीर रूप से घायल होने के बाद उसे बेहतर उपचार के लिये अस्पताल में भर्ती करा दिया गया है.

तेंदूपत्ता तोड़ने गए परिवार पर भालुओं ने किया हमला

कोटाडोल गांव का रहने वाला संतलाल सिंह अपनी पत्नी कलावती सिंह और अपनी बेटी संजना सिंह के साथ जुर्ला नदी के पास तेंदुपत्ता तोड़ने गया था. जब वे लोग जंगल में तेंदूपत्ता तोड़ रहे थे तभी अचानक मादा भालू अपने शावकों के साथ वहां पहुंच गए और अचानक आमना-सामना होने पर भालुओं ने संतलाल पर हमला कर दिया.

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पिता ने जान-जोखिम में डालकर बचाई बेटी की जान

बेटी संजना सिंह ने जब मौके पर हल्ला मचाया तो शावकों ने उस पर भी हमला करने की कोशिश की. अपनी बेटी पर हमला होते देख बीच बचाव करने उसका पिता संतलाल सामने से आकर भालू से भिड़ गया. जिससे उसके सिर और हाथ पैर पर गंभीर रूप से चोट आई है. पत्नी कलावती और पुत्री संजना सिंह के द्वारा हल्ला करने पर भालू अपने शावकों के साथ वहां से भाग गई. पीड़ित की पत्नी और आसपास तेंदूपत्ता तोड़ रहे लोगो की मदद से घायल को गांव तक लाया गया और इसकी सूचना वन विभाग के आला अधिकारियों को दी गई उनकी मदद से घायल को उपचार के लिये सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जनकपुर लाया गया. प्राथमिक उपचार के बाद घायल की गंभीर स्थिति को देखते हुए उसे जिला चिकित्सालय शहडोल रेफर कर दिया गया है. वन विभाग को सूचना मिलते ही वन परिक्षेत्राधिकारी के द्वारा तात्कालिक सहायता राशि के रूप में दो हजार रुपये दिया गया है.

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