Chhattisgarh: अंबिकापुर में यूरिया की कालाबाजारी, कंपनियों से लेकर दुकानदारों की अफसरों से सेटिंग!
Chhattisgarh News: सरगुजा जिले में किसानों को यूरिया खाद के लिए अधिक रुपए देने पड़ रहे हैं क्योंकि अंबिकापुर शहर में यूरिया के व्यापारी किसानों को कंपनियों का अतिरिक्त प्रोडक्ट नहीं लेने पर यूरिया देने से इनकार कर दे रहे हैं. अंबिकापुर स्थित खरसिया रोड में कई खाद की दुकान है और इन दुकानदारों के द्वारा किसानों को यूरिया के साथ संबंधित यूरिया कंपनी का जैविक खाद और अन्य प्रोडक्ट लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है विस्तार न्यूज़ ने इसकी हकीकत जानने के लिए दुकानों का जायजा लिया तो दुकानदारों ने साफ कहा कि कंपनियों ने उन्हें यूरिया के साथ संबंधित प्रोडक्ट को बेचने के लिए दिया है. वहीं कृषि विभाग के अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं और ऐसे दुकानदारों के साथ कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं और दुकानदारों की मनमानी बढ़ती जा रही है.
कंपनियों से लेकर दुकानदारों की अफसरों से तगड़ी सेटिंग
इन दिनों धान की रोपाई अब अंतिम स्तर पर चल रहा है और किसान खेतों में अधिक उपज के लिए यूरिया डाल रहे हैं लेकिन किसानों को सरकार द्वारा निर्धारित रेट पर यूरिया उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, सरकार ने यूरिया का प्रतिबोरी के हिसाब से 267 रुपए रेट तय किया हुआ है, लेकिन दुकानदार किसानों को अंबिकापुर शहर में ₹350 प्रतिबोरी के हिसाब से यूरिया बेच रहे हैं ये यूरिया के वे दुकानदार हैं जो थोक विक्रेता भी हैं ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन थोक विक्रेताओं से ₹350 प्रति बोरी हिसाब से यूरिया खरीदने के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित खाद दुकानदार महंगे रेट में आखिर यूरिया क्यों बेच रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में भी हमने पहुंचकर पड़ताल की तो पता चला कि वहां दुकानदार 400 से 450 रुपए प्रति पूरी के हिसाब से यूरिया बेचने के लिए मजबूर हैं उनका कहना है कि थोक दुकानदार यूरिया का न बिल देते हैं और न ही सही रेट पर यूरिया. वहीं वे इसकी शिकायत नहीं करते क्योंकि शिकायत करने के बाद विभाग के उच्च स्तर के अधिकारी बड़े दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते हैं.
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कालाबाजारी पर नहीं हो रही कार्रवाई
बता दें कि कृषि विभाग ने जिले के सभी ब्लॉक में उर्वरक निरीक्षक की तैनाती कर रखी है लेकिन उसके बाद भी निरीक्षकों के द्वारा बड़े दुकानों में पहुंचकर जांच नहीं के जा रही है. यह नहीं देखा जा रहा है कि आखिर थोक विक्रेता यूरिया की बिक्री किस तरीके से कर रहे हैं, उनके द्वारा लोगों को बिल दिया जा रहा है या नहीं. वही उनका स्टॉक भी नहीं जांचा जा रहा है. यही वजह है कि यूरिया की कालाबाजारी भी बड़े स्तर पर की जा रही है। बता दें कि पिछले दिनों यूरिया और अन्य खाद की कालाबाजारी का मामला पकड़ में आया था और सरगुजा राय किसान सेवा केंद्र के खिलाफ किसान की शिकायत के बाद छापामार कार्रवाई की गई थी. शिकायत सही पाई गई और मौके पर खाद का बिल भी नहीं मिला लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने खाद दुकान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की. यहां तक की दुकान को सील भी नहीं किया गया और अब इस पूरे मामले में खाना पूर्ति कर दिया गया है यही वजह है कि खाद की कालाबाजारी करने वाले दुकानदारों का हौसला बुलंद हैं तो उच्च स्तर के अधिकारियों के द्वारा जिले स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं होने से वे भी खाद की कालाबाजारी को रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं कर रहे हैं आलम तो यह है जिले स्तर में विभाग के वरिष्ठ अधिकारी अपने कर्मचारियों के इशारे में चल रहे हैं और किसान परेशान हैं.