Chhattisgarh: शिक्षा को महत्वहीन समझने की गलती कर रहे है मुख्यमंत्री, प्रदेश में गुणवत्ता का स्तर घटेगा – कांग्रेस नेता शैलेश पांडेय
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में बीजेपी की सरकार को उनके सलाहकारों ने एसी सलाह दे दिया है कि प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव करने जा रही है जिससे न केवल प्रदेश में शिक्षा का स्तर घटेगा बल्कि वर्तमान शिक्षकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. पुराने सेटप से जो भर्तियाँ स्कूलों में हुई थी उनमे बड़ा बदलाव लाने जा रही है. अगर युक्तियुक्तकरण सरकार लागू करेगी तो स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम हो जाएगी और एक शिक्षक पर अधिक भार आएगा और जब भार सहन से अधिक होगा तो इसका प्रभाव छात्र छात्राओं को दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता पर भी पड़ेगा अर्थात् बीजेपी की सरकार पूरे प्रदेश में गुणवत्ताहीन शिक्षा देने जा रही है,प्राथमिक शालाओं और माध्यमिक शालाओं का जो सेटप हुआ करता था वो अब नहीं रहेगा इससे शिक्षक परेशान होंगे और स्कूल की पढ़ाई का बेड़ागर्ग हो जाएगा. हज़ारों शिक्षकों की जो नयी भर्तियाँ होने वाली है उस पर इसका असर पड़ेगा और रोज़गार भी कम निकलेंगे और उसका नुकसान प्रदेश का युवा उठाएगा क्योंकि फिर सरकार कम भर्तियाँ निकालेगी.
शिक्षा को महत्वहीन समझने की गलती कर रहे है मुख्यमंत्री – शैलेश पांडेय
कांग्रेस नेता ने शिक्षा को महत्वहीन समझने की गलती कर रहे है माननीय मुख्यमंत्री जी और उनके सलाहकार उनको गलत सलाह दे रहे है, बीजेपी की सरकार के पास बजट की कमी है और सरकार पहले छह महीने में ही तेरह हज़ार करोड़ का कर्ज ले चुकी है और बढ़ते कर्ज और फण्ड की कमी के कारण इसका सीधा प्रभाव स्कूलों की शिक्षा पर पड़ने जा रहा है और बच्चों को शिक्षा नहीं मिलेगी अच्छी तो इससे शिक्षा का स्तर भी घटेगा और ड्रापआउट भी ज्यादा होंगे और इसका प्रभाव सीधे देखा जाये तो उच्च शिक्षा पर भी पड़ेगा.
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प्रदेश में गुणवत्ता का स्तर घटेगा
सरकार ने आते ही सभी चीजों का दर बढ़ा दिया है चाहे वो आबकारी की दरे हो या बिजली की दरे हो या फिर ज़मीन की रजिस्ट्री हो और भी महंगाई का दौर चल रहा है, आम आदमी और गरीब आदमी और मध्यम वर्गीय परिवार अपना घर के ख़र्च का बोझ नहीं उठा पा रहा है तो सरकार राहत देने के बजाय और ठगने का काम कर रही है लेकिन सब महंगाई के बावजूद भी सरकारी सिस्टम की पढ़ाई की लुटिया डूबने वाली है।अभी शिक्षक गण अपने बातें सरकार से और जनप्रतिनिधियों से अलग अलग मिलकर रख रहे है लेकिन इसका कोई फायदा नहीं मिलेगा क्योंकि शिक्षकों के लिए ये सरकार का दृष्टिकोण सही नहीं है आने वाले चुनाव में भी शिक्षकों की ही ड्यूटी लगती है तो एसे में पढ़ाई का स्तर और घटेगा और आख़िर क्या क्या काम करेगा प्रदेश का शिक्षक ?