Chhattisgarh News: जशपुर के गांवों में अंधविश्वास का दंश झेल रहे बच्चे, गांवों में चल रही बच्चों को दागने की कुप्रथा 

Chhattisgarh News: अबोध शिशुओं को गर्म लोहे से दागने की कुप्रथा को देखकर प्रशासन द्वारा कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी जिले में कुप्रथा जारी है.
Chhattisgarh News

बच्ची की माँ और घायल बच्ची

Chhattisgarh News: जशपुर जिले के सुदूर ग्रामीण अंचल में अंधविश्वास के चलते छोटे बच्चे के शरीर में किसी प्रकार के अज्ञात दाग-धब्बे दिखाई देने व बच्चे के अधिक रोने, डरने या चमकने जैसी घटना को दूर करने के लिए बच्चे के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है. इससे स्थानीय भाषा में दागना कहा जाता है. ऐसे अंधविश्वास को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं, जो कारगर साबित नहीं हो रहा है. जशपुर जिले में 18 दिन के दुधमुंही बच्ची के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है.

18 दिन की बच्ची के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला आया सामने

जिले के पत्थलगांव के ग्राम पंचायत मुड़ापारा के करंगाबहला में 18 दिन के बच्ची के शरीर को गर्म लोहे से दागने का मामला सामने आया है. बच्चे के शरीर में नश में काला रंग दिखाई देने व पेट फूलने कारण परिजनों ने डॉक्टर से इलाज न कराकर कुप्रथा व अंधविश्वास के चलते बैगा के पास झाड़फूंक के लिए गए. बैगा ने झाड़फूंक कर बच्चे के पेट में सैकड़ो जगह पर गर्म लोहे से दाग दिया. अब बच्चा घायल है और उसे उपचार के पत्थलगांव के एक बच्चो के निजी क्लिनिक में भर्ती कराया गया है.करंगाबहला गांव निवासी नरेश मिंज की 18 दिन के बच्ची के शरीर में नश काला रंग दिखाई देने लगा. इसके साथ ही बच्ची का पेट फुल जाने से परिवार के लोग भयभीत हो गए थे. जिस पर परिजनों ने बच्ची को बैगा के पास ले गये जहा बैगा ने बच्चे के पेट कई जगहों पर सैनकों बार गर्म लोहे से दाग दिया, जिससे बच्चा घायल हो गया.

ये भी पढ़ें – अरुण सिसोदिया ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, भूपेश बघेल पर आचार संहिता के उल्लंघन का लगाया आरोप

अंध विश्वास रोकने में प्रशासन नाकाम

अबोध शिशुओं को गर्म लोहा से दागने की कुप्रथा को देखकर प्रशासन द्वारा कार्यशाला का आयोजन भी किया जाता है लेकिन इसके बावजूद भी जिले में कुप्रथा जारी है. बहरहाल अबोध शिशुओं को गर्म लोहे से दागने की कुप्रथा पर पूरी तरह अंकुश लगाये जाने की जरूरत है ताकि कोई अबोध जानकारी के अभाव में जन्म लेने के कुछ ही दिनों के अंतराल में इतने भारी कष्ट को न भोग सके फ़िलहाल बच्ची का उपचार जारी है.

ज़रूर पढ़ें