Chhattisgarh: इस जिले में बाल अपराध के आंकड़े चौंकाने वाले, 200 नाबालिग बच्चों के खिलाफ हुई FIR
Chhattisgarh: हर माता-पिता का एक सपना होता है कि उनके बच्चे बड़े होकर अच्छे मुकाम तक पहुंचे और अपने पैरों पर खड़े होकर परिवार के साथ खुशियों भरा जीवन जियें. लेकिन बदलते समय के अनुसार स्थितियां भी अब बदलने लगी हैं. आज के समय में कुछ बच्चे पढ़ाई लिखाई से दूर होकर अपराध की दुनिया की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसा ही चौंकाने वाला आंकड़ा दुर्ग पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में लगभग दो सौ से अधिक नाबालिग बच्चों के खिलाफ अपराध से जुड़ी कई खौफनाक घटनाओं में एफआईआर दर्ज की गयी है .
कच्ची उम्र के बच्चे खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं
जिस उम्र में कंधे पर बस्ता और हाथों में कलम होना चाहिए, उस उम्र में बच्चे अपराध की राह पर चलने लगे हैं. महंगे शौक, नशे की लत व कम उम्र में ही खुद को रौबदार दिखाने की कोशिश में दुर्ग ज़िले में कच्ची उम्र के बच्चे खतरनाक वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. इसमें कई संगीन अपराध के मामले हैं. दुर्ग ज़िले में अपराधों को अंजाम देने वाले बाल अपराधी भटकी हुई प्राथमिकताओं जैसे कि गर्ल फ्रैंड को महंगे गिफ्ट देना, मौज मस्ती भरे जीवन के प्रति आकर्षण जैसी वजहों से वारदातों में शामिल पाए गए है.
कई गंभीर अपराधों में 200 से अधिक नाबालिग बच्चों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है
बाल अपराधों को लेकर ज़िले में पुलिस के आंकड़ों की मानें तो पिछले 4 वर्षों में हत्या, हत्या का प्रयास ,चोरी, अनाचार, मारपीट, अपहरण, बलवा व लूट आदि जैसे गंभीर अपराधों में शामिल 200 से अधिक नाबालिग बच्चों को पुलिस ने गिरफ्तार किया है. पुलिस अधिकारी भी हैरान हैं कि आखिर पढ़ने लिखने की उम्र में बच्चे अपराध की ओर क्यों जा रहे हैं. ज़िले में हो रहे लगातार संगीन अपराधों में 12 से 17 वर्ष की उम्र वाले बच्चे संलिप्त पाए गए हैं.
आखिर कम उम्र में बच्चें अपराध की दुनिया मे क्यों रख रहें हैं कदम?
अचानक बदले इस क्राइम ट्रेंड ने समाज और पुलिस दोनों की चिंता बढ़ा दी है. इन बच्चों में मंहगी बाइक, मोबाइल रखने की चाहत बढ़ गई है. घर पर जब उनकी जरूरतें पूरी नहीं होती तब वह अपराध के रास्ते अपना रहे हैं. वहीं पढ़ने लिखने की उम्र में 45 से 50 फीसदी बच्चे अपराध की ओर जा रहे हैं. बच्चे कम उम्र में अपनी पहचान बनाने के लिए आतुर हो रहे है. जिसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि माता पिता की भागदौड़ भरी जिंदगी में बच्चों को सही मार्गदर्शन नहीं मिलता हो. यह एकल परिवार में ज्यादा देखने को मिलता है. इसका फायदा उठाकर बच्चे फ़िल्म के हीरो या फिर किसी दोस्त को अपना आयडल मान लेते हैं, उसी के मुताबिक नशे में अपराध का रास्ता अपना लेते हैं.
बच्चों को अपराधों से दूर रखने के लिए दुर्ग पुलिस चला रही है जन-जागरूकता अभियान
इधर दुर्ग शहर एएसपी अभिषेक झा ने बताया कि दुर्ग पुलिस के द्वारा समय-समय पर जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. रक्षा टीम और महिला टीम के द्वारा स्कूल और अन्य जगह में जाकर काउंसलिंग की जाती हैं साथ ही बच्चों को समझाइश भी दी जाती है कैसे किसी से बात करना है, क्या आचरण रखना है. वहीं बाल अपराधों में कमी लाने के लिए सबसे पहले अभिभावकों को जागरूक होना होगा इसके लिए भी पुलिस जागरूकता अभियान चला रही है. अभिभावकों को यह ध्यान रखना होगा कि कहीं उनका बच्चा गलत संगत में तो नहीं जा रहा है. बच्चों को अच्छा संस्कार देना होगा, तभी वे अपराध की ओर जाने से बच पांएगे.