Chhattisgarh: खतरनाक हुए हाथी, सरगुजा में तीन साल में 99 लोगों की ली जान, रात में घर छोड़ने पर मजबूर लोग
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ में पिछले तीन सालों में नक्सलियों ने जितने लोगों की जान नहीं ली है, उससे अधिक लोगों को हाथियों ने अकेले सरगुजा संभाग में मार डाला और अब भी यहां हाथियों का उत्पात कम होने का नाम नहीं ले रहा है. हाल यह है कि हाथियों के क्षेत्र में आने की खबर लगते ही लोग घर छोड़कर सुरक्षित ठिकाने में जाने लगते हैं. वहीं अब तक इस समस्या का कोई सार्थक उपाय वन विभाग के अफसरों ने नहीं किया है और समस्या गंभीर होती जा रही है.
घर छोड़ने पर मजबूर हुए लोग
दरअसल सरगुजा के मैनपाट में बुधवार की रात दो जंगली हाथी आ धमके. इसके बाद नर्मदापुर पंचायत के पहाड़ी कोरवा बस्ती की तरफ जब हाथी बढ़ने लगे, गांव के लोग अपना घर छोड़कर एक किलोमीटर दूर नागाडांड में बनाये गए कालोनी में रात गुजारी. जब सुबह वापस अपने घर पहुंचे तो लोगों ने देखा कि हाथियों ने उनके मकानों को तोड़ दिया था. अब उनके सामने समस्या आ खड़ी हुई है कि वे अब कहां रहें और हाथी इलाके में ही घूम रहे हैं. हाथी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि हाथी जंगल छोड़कर गावों की तरफ इसलिए पहुंच रहे हैं क्योंकि जंगलों में उनके खाने के लिए कुछ नहीं है और गर्मी बढ़ने पर जंगलों में तालाब और दूसरे जल स्त्रोत भी सूख जा रहे हैं इसलिए हाथी बस्तियों की तरफ पहुंच रहे हैं.
हाथियों ने 99 तो नक्सलियों ने इतने लोगों की ली जान
सरगुजा संभाग में इन दिनों करीब 100 से अधिक हाथी घूम रहे हैं और हाथियों ने तीन सालो में अब तक यहां 99 लोगों को कुचलकर मार डाला है. वहीं सिर्फ पिछले एक साल की बात करें तो अब तक यहां 31 लोगों को हाथियों ने कुचलकर मार दिया है. वहीं तीन सालो में यहां तीन हजार से अधिक परिवारों को बेघर किया है साथ ही सात हजार हेक्टेयर में लगे फसलों को हाथियों ने रौंद दिया है. सरकार ने तीन सालों में नुकसान की भरपाई और जनहानि पर कुल 20 करोड़ का मुआवजा दिया है. वहीं नक्सलियों ने पिछले तीन साल में 109 लोगों को मारा है. लेकिन 2022 में नक्सलियों ने जहां 35 लोगों को मारा वहीं हाथियों ने 37 लोगों की जान ले ली है. वहीं 2023 में नक्सलियों ने 40 तो हाथियों ने 31 लोगों को मौत के घाट उतारा है. 2021 में नक्सलियों ने 34 लोगों को मारा तो हाथियों ने 31 लोगों को मारा है.
हाथी विशेषज्ञ अमलेदु मिश्रा का कहना है कि किसी भी वन्य जीव के लिए सैल्टर, भोजन और पानी की जरुरत होती है लेकिन जंगलों का क्षेत्रफल कम हुआ है और इसकी वजह से यह समस्या बढ़ी है. जंगलों का संरक्षण नहीं होगा तब तक इस समस्या का कोई ठोस उपाय नहीं है, सिर्फ हाथी व मानव संघर्ष बढ़ेगा.